aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जानना"
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
1699 - 1781
शायर
जानाँ मलिक
born.1987
मज़हर जाने जाना
लेखक
मुहम्मद अली जिन्ना
1876 - 1948
मतबूआ जिन्ना प्रेस, दिल्ली
पर्काशक
जिन्ना लिटरेरी अकेडमी, कराची
अंजुमन इत्तेहाद-ए-तलबा जिन्ना गवर्मेंट पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट, कराची
जिन्ना पब्लिशिंग हाउस, बम्बई
मतबातुल जन्ना, क़ाहिरा
विजय विलास, जालना
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने सेआ गया था मिरे गुमान में क्या
क्या क्या न ख़ून थूका मैं उस गली में यारोसच जानना वहाँ तो जो फ़न था राएगाँ था
मंगू कोचवान अपने अड्डे में बहुत अक़लमंद आदमी समझा जाता था। गो उसकी तालीमी हैसियत सिफ़र के बराबर थी और उसने कभी स्कूल का मुँह भी नहीं देखा था लेकिन इसके बावजूद उसे दुनिया भर की चीज़ों का इल्म था। अड्डे के वो तमाम कोचवान जिन को ये जानने की...
चाहिए है माँ को मादर जाननाऔर भाई को बरादर जानना
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना होबहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
तेवर तो माशूक़ ही पर जचते हैं। माशूक़ का चेहरा तेवरों से ख़ाली हो तो फिर वो माशूक़ का चेहरा ही कहाँ हुआ। लेकिन आशिक़ इन तेवरों को किस तौर पर महसूस करता है। उनसे उस के लिए किस तरह की मुश्किलें पैदा होती हैं इन सब बातों को जानना एक दिल-चस्प तजर्बा होगा। हमारे चुने हुए इन शेरों को पढ़िए।
हास्य और व्यंग्य असल में समाज की असमानताओं से फूटता है। अगर किसी समाज को सही ढंग से जानना हो तो उस समाज में लिखा गया हास्यात्मक, व्यंग्यात्मक साहित्य पढ़ना चाहिए। उर्दू में भी हास्यात्मक और व्यंग्यात्मक साहित्य की शानदार परंपरा रही है। मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी, पतरस बुख़ारी, रशीद अहमद सिद्दीक़ी और बेशुमार अदीबों ने बेहतरीन हास्यात्मक, व्यंग्यात्मक लेख लिखे हैं। रेख़्ता पर ये गोशा उर्दू में लिखे गए ख़ूबसूरत और मशहूर मज़ाहिया और तन्ज़िया लेखों से आबाद है। पढ़िए और ज़िंदगी को ख़ुशगवार बनाइऐ।
आँसू पानी के सहज़ चंद क़तरे नहीं होते जिन्हें कहीं भी टपक पड़ने का शौक़ होता है बल्कि जज़्बात की शिद्दत का आईना होते हैं जिन्हें ग़म और ख़ुशी दोनों मौसमों में संवरने की आदत है। किस तरह इश्क आंसुओं को ज़ब्त करना सिखाता है और कब बेबसी सारे पुश्ते तोड़ कर उमड आती है आईए जानने की कोशिश करते हैं आँसू शायरी के हवाले से.
जाननाجاننا
to know
मिर्ज़ा मज़हर जान-ए-जानाँ
सय्यद तबारक अली नक़्श बन्दी
शोध
Kalimat-e-Tayyibat
क़ाज़ी सनाउल्लाह पानी पती
पत्र
क़ायद-ए-अाज़म मोहम्मद अली जिन्ना सियासी-ओ-तज्ज़ियाती मुतअाला
मोहम्मद सलीम
आत्मकथा
कूचा-ए-जाना जाना
कलीम आजिज़
काव्य संग्रह
Irshadat-e-Jinnah
व्याख्यान
Deewan-e-Mazhar Jan-e-Janaan
Khutbat-e-Qaid-e-Azam
Khutbat-e-Jinnah
Tasawwurat-e-Pakistan
इतिहास
Deewan-e-Mazhar
दीवान
Deewan-e-Mirza Mazhar-e-Jan-e-Janan
Urdu Kalam
शायरी तन्क़ीद
वह जिंहें कोई नहीं जानता
अनवर साबरी
परिचय
घर जाना है
रुक्मिणी बनर्जी
बाल-साहित्य
मसनवी तस्वीर-ए-जानाँ
लक्ष्मी नारायण शफ़ीक़
मसनवी
ज़हीर को तीन बहनों के इस बोझ से कोई दिलचस्पी नहीं थी जो उसके इकलौते भाई के काँधों पर था। वो सिर्फ़ उस लड़की के बारे में जानना चाहता था जो हाथ में किताबें लिए साथ वाले घर में दाख़िल हुई थी, ये तो ज़ाहिर था कि वो उन तीन...
मुरव्वतों को मोहब्बत न जानना 'इरफ़ान'तुम अपने सीने से नोक-ए-सिनाँ न छू लेना
मैंने मुड़ कर देखा। बेंच के पीछे एक नौजवान खड़ा था। यूं तो बंबई के आम बाशिंदों का रंग ज़र्द होता है। लेकिन उसका चेहरा ख़ौफ़नाक तौर पर ज़र्द था। मैंने उसका शुक्रिया अदा किया, “आप की बड़ी इनायत है।” उसने जवाब दिया, “आप सिगरेट सुलगा लीजिए, मुझे जाना है।”...
ये जुग़राफ़िया फ़ल्सफ़ा साईकॉलोजी साइंस रियाज़ी वग़ैराये सब जानना भी अहम है मगर उस के घर का पता जानते हो
मोहब्बत का मतलब जानना चाहते होतो पहले दरिया से मिलो...
जान तुम पर निसार करता हूँमैं नहीं जानता दुआ क्या है
दहशत से सूरतें उनकी चपटी होने लगीं। और ख़द-ओ-ख़ाल मस्ख़ होते चले गए। और अलियासफ़ ने घूम कर देखा और बंदरों के सिवा किसी को न पाया। जानना चाहिए कि वो बस्ती एक बस्ती थी। समुंदर के किनारे। ऊंचे बुर्जों और बड़े दरवाज़ों वाली हवेलियों की बस्ती, बाज़ारों में खोई...
शादी की रात बिल्कुल वह न हुआ जो मदन ने सोचा था। जब चकली भाभी ने फुसला कर मदन को बीच वाले कमरे में धकेल दिया तो इंदू सामने शाल में लिपटी हुई अंधेरे का भाग बनी जा रही थी। बाहर चकली भाभी और दरियाबाद वाली फूफी और दूसरी औरतों...
दिन में सौ बार बाम पर जानादेखना-भालना चले आना
आप दिन में उन्हें सौ बार देखें। ये आप को कभी ख़ूबसूरत दिखाई न देंगी। न उनका रंग रूप अच्छा है न उनका कपड़ा। ये बड़ी सस्ती, घटिया क़िस्म की साड़ियाँ हैं। हर रोज़ धुलने से उनका कपड़ा भी तार-तार हो रहा है। उन में कहीं कहीं रौज़न भी नज़र...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books