aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ट्रेन"
प्रिंट ट्रेड इंडिया, चमनगंज
पर्काशक
इस्लामिक बुक ट्रेड, हैदराबाद
केगन पॉल, ट्रेंच, टर्बनेर एंड को. लिमिटेड, लंदन
अमृतसर से स्शपेशल ट्रेन दोपहर दो बजे को चली और आठ घंटों के बाद मुग़लपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। मुतअद्दिद ज़ख़्मी हुए और कुछ इधर उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी ज़मीन पर जब सिराजुद्दीन ने आँखें खोलीं और अपने चारों तरफ़ मर्दों, औरतों...
बस भाई जान, थैला मर गया। थैला दफ़ना दिया गया और... और ये कह कर मेरा हमसफ़र पहली मर्तबा कुछ कहते-कहते रुका और ख़ामोश हो गया। ट्रेन दनदनाती हुई जा रही थी। पटड़ियों की खटाखट ने ये कहना शुरू कर दिया। थैला मर गया... थैला दफ़ना दिया गया... थैला मर...
ज्ञान की शूटिंग थी इसलिए किफ़ायत जल्दी सो गया। फ़्लैट में और कोई नहीं था, बीवी-बच्चे रावलपिंडी चले गए थे। हमसायों से उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी। यूं भी बंबई में लोगों को अपने हमसायों से कोई सरोकार नहीं होता। किफ़ायत ने अकेले ब्रांडी के चार पैग पिए। खाना खाया,...
ख़त पढ़ कर मेरी हैरत की कोई इंतिहा न रही लेकिन जब ठंडे दिल से इस बात पर ग़ौर किया तो रफ़्ता रफ़्ता बाशिंदगान-ए-मुरीदपुर की मर्दुम-शनासी का क़ायल हो गया। मैं एक कमज़ोर इंसान हूँ और फिर लीडरी का नशा एक लम्हे ही में चढ़ जाता है। उस लम्हे के...
ख़त-ओ-किताबत के ज़रिये से ये तय होगया था कि हरिंदरनाथ त्रिपाठी ख़ुद जोगिंदर सिंह के मकान पर चला आएगा क्योंकि त्रिपाठी ये फ़ैसला नहीं कर सका था कि वो लारी से सफ़र करेगा या रेलवे ट्रेन से। बहरहाल ये बात तो क़तई तौर पर तय हो गई थी कि जोगिंदर...
क्लासिकी उर्दू शाइरी में तन्हाई का संदर्भ प्रेम का पारंपरिक सौंदर्य है । क्लासिकी शाइरी का महबूब जब मिलन से इनकार करता है तो उस का आशिक़ विरह के दुख से गुज़रता है । अब केवल महबूब की याद उस के जीवन को सहारा देती है । तन्हाई और एकाकीपन के अर्थों का विस्तार उर्दू की आधुनिक शाइरी में होता है और अब इश्क़-ओ-मोहब्बत से आगे का सफ़र तय होता है । आधुनिक शाइरी में तन्हाई कभी मशीनी ज़िंदगी का रूपक बनती है तो कभी इंसान के अपने अस्तित्व और ख़ाली-पन को विषय बनाती है । यहाँ प्रस्तुत संकलन से आप को उर्दू शाइरी के ट्रेंड को समझने में मदद मिलेगी ।
ट्रेनٹرین
train
कि जैसे ट्रेन के चलने से पहलेरेलवे-स्टेशन पर
दूसरे रोज़ सुबह ग्यारह बजे के क़रीब जबकि जानकी का बुख़ार एक डिग्री हल्का था और तबीयत भी किसी क़दर दुरुस्त थी, बंबई से सईद का तार आया जिसमें बड़े दुरुश्त लफ़्ज़ों में लिखा था, “याद रहे कि तुमने अपना वा’दा पूरा नहीं किया।” मैं बहुत मना करता रहा लेकिन...
आती हुई ट्रेन के जो आगे रख गईउस माँ से ये न कहना ब-क़ैद-ए-हयात हूँ
जावेद मुस्कुराया, “जी अभी तक मालूम नहीं, आप लाहौर का टिकट बना दीजिए कि वही आख़िरी स्टेशन है।” टिकट चेकर ने उसे लाहौर का टिकट बना दिया। रुपये वसूल किए और दूसरे स्टेशन पर उतर गया। जावेद भी उतरा कि ट्रेन को टाइम टेबल के मुताबिक़ पाँच मिनट ठहरना था।...
नसीम अख़्तर ने बड़ी बहादुरी दिखाई। आराम आराम से नीचे उतर कर लांड्री की छत तक पहुंच गई। ख़ानसाहब अच्छन ख़ान भी बहिफ़ाज़त तमाम उतर आए। अब वो तवेले में थे। साईस इत्तिफ़ाक़ से तांगे में घोड़ा जोत रहा था। दोनों उसमें बैठे और स्टेशन का रुख़ किया, मगर रास्ते...
“लगे चलो।” कंडक्टर की आवाज़ के साथ बस की रफ़्तार धीमी हो चली थी, फिर तेज़ हो गई और वो खिड़की से झांक कर देखता रहा कि चेहरों के इस सैलाब में उम्मीद की रूह किस तेज़ी से दूरी और किस तेज़ी से ग़ायब हुई, किस तेज़ी से किसी चेहरे...
ट्रेन मग़रिबी जर्मनी की सरहद में दाख़िल हो चुकी थी। हद-ए-नज़र तक लाला के तख़्ते लहलहा रहे थे। देहात की शफ़्फ़ाफ़ सड़कों पर से कारें ज़न्नाटे से गुज़रती जाती थीं। नदियों में बतखें तैर रही थीं। ट्रेन के एक डिब्बे में पाँच मुसाफ़िर चुप-चाप बैठे थे। एक बूढ़ा जो खिड़की...
नज़ीर ने ख़त लेकर देखा। उसको मालूम न हो सका कि हिन्दी है या गुजराती। अलग ट्रे में रख दिया और अपने काम में मशग़ूल हो गया। थोड़ी देर के बाद नज़ीर की बीवी ने अपनी छोटी बहन नईमा को आवाज़ दी। वो आई तो वो ख़त उठा कर उसे...
इस्मत और मैं बा’ज़ औक़ात अ’जीब अ’जीब बातें सोचा करते हैं, “मंटो भाई, जी चाहता है, अब मुर्ग़ और मुर्ग़ीयों के रोमांस के मुतअ’ल्लिक़ कुछ लिखूँ” या “मैं तो फ़ौज में भर्ती हो जाऊँगी और हवाई जहाज़ उड़ाना सीखूंगी।” चंद महीनों की बात है। मैं और इस्मत बंबई टॉकीज़...
मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ कि आपने प्रोफ़ेसर साहिब के ख़्यालात सुनने की तकलीफ़ गवारा फ़रमाई। इसके बाद साहिब-ए-सदर उठे और उन्होंने प्रोफ़ेसर साहिब और मिर्ज़ा काज़िम का शुक्रिया हाज़िरीन की तरफ़ से अदा की और जलसे के इख़्तिताम का ऐलान किया। फिर क्या था बड़े बड़े अदीब, शायर,...
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