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नज़्म
दो इश्क़
पूरे किए सब हर्फ़-ए-तमन्ना के तक़ाज़े
हर दर्द को उजयाला हर इक ग़म को सँवारा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
बदल गए हैं तक़ाज़े मिज़ाज-ए-वक़्त के साथ
न वो शराब, न साक़ी, न अब वो मय-ख़ाने
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
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ग़ज़ल
निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते
वसीम बरेलवी
नज़्म
जुगनू
वो झूट ही सही कितना हसीन झूट था वो
जो मुझ से छीन लिया उम्र के तक़ाज़े ने