आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तख़्ता-ए-दार"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "तख़्ता-ए-दार"
ग़ज़ल
तख़्ता-ए-दार पे लाई निगह-ए-नाज़ मुझे
'इश्क़ ने मान लिया साहिब-ए-ए'ज़ाज़ मुझे
मुनव्वर ताबिश सम्भली
अन्य परिणाम "तख़्ता-ए-दार"
नज़्म
आज तन्हाई ने थोड़ा सा दिलासा जो दिया
तख़्ता-ए-दार न मंसब न अदालत की ख़लिश
अब तो इक चीख़ सी होंटों में दबी रहती है
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
तख़्ता-ए-दार पे चढ़ जाएगी सच की ख़ातिर
ये ज़बाँ लहजा-ए-बेबाक से वाबस्ता है