आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "फ़ातिहा"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "फ़ातिहा"
ग़ज़ल
पए फ़ातिहा कोई आए क्यूँ कोई चार फूल चढ़ाए क्यूँ
कोई आ के शम' जलाए क्यूँ मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
मुज़्तर ख़ैराबादी
मर्सिया
दौड़ीं ये कह के फ़ातिमा-ज़ेहरा जिगर-फ़िगार
है है हुसैन क्या हुआ तू क्यूँ है अश्क-बार
मीर अनीस
मर्सिया
ख़ुद फ़ितना ओ शर पढ़ रहे हैं फ़ातिहा-ए-ख़ैर
कहते हैं अनल-अब्द लरज़ कर सनम-ए-दैर
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "फ़ातिहा"
विषय
फ़ातेह
फ़ातेह शायरी
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "फ़ातिहा"
ग़ज़ल
'क़मर' वो सब से छुप कर आ रहे हैं फ़ातिहा पढ़ने
कहूँ किस से कि मेरी शम-ए-तुर्बत को बुझा देना
क़मर जलालवी
तंज़-ओ-मज़ाह
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
ग़ज़ल
हमारी ज़ीस्त में थे साथ कौन कौन ऐ 'बर्क़'
अब एक फ़ातिहा को क़ब्र पर नहीं आता