aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "मसलन"
मीलन प्रेस, कलकत्ता
पर्काशक
उर्दू मसकन, हैदराबाद
योगदानकर्ता
मिलन कम्पनी, दिल्ली
मिलन प्रकाशन, नई दिल्ली
इसी तरह उसने और बहुत सी निशानियां क़ायम करली थीं, मसलन बड़े बड़े हुरूफ़ में जहां कोयलों की दूकान लिखा था, वहां उसकी सहेली हीरा बाई रहती थी जो कभी कभी रेडियो घर में गाने जाया करती थी, जहां शरिफ़ा के खाने का आला इंतिज़ाम है। लिखा था वहां उसकी...
“तुम्हारा शख़्सियत से आखिर मतलब क्या है?” मैं तो खुदा से यही चाहता था कि वह मुझे अर्ज़-ओ-मा’रूज़ का मौक़ा दें। मैंने कहा, “देखिए न! मसलन एक तालिब-इ’ल्म है। वह कॉलेज में पढ़ता है। अब एक तो उसका दिमाग़ है। एक उसका जिस्म है। जिस्म की सहत भी ज़रूरी है...
अजीब है मिरी फ़ितरत कि आज ही मसलनमुझे सुकून मिला है तिरे न आने से
(दौर-ए-जदीद के शोअरा की एक मजलिस में मिर्ज़ा ग़ालिब का इंतज़ार किया जा रहा है। उस मजलिस में तक़रीबन तमाम जलील-उल-क़द्र जदीद शोअरा तशरीफ़ फ़र्मा हैं। मसलन मीम नून अरशद, हीरा जी, डाक्टर क़ुर्बान हुसैन ख़ालिस, मियां रफ़ीक़ अहमद ख़ूगर, राजा अह्द अली खान, प्रोफ़ेसर ग़ैज़ अहमद ग़ैज़, बिक्रमा जीत...
”तो फिर शायद आपका इशारा दर्द-ए-सर की तरफ़ है, देखिए मिर्ज़ा साहिब, हुकमा ने दर्द-ए-सर की दर्जनों क़िस्में गिनवाई हैं। मसलन आधे सर का दर्द, सर के पिछले हिस्से का दर्द, सर के अगले हिस्से का दर्द, सर के दरमियानी हिस्से का दर्द, उनमें हर दर्द के लिए एक ख़ास...
यहाँ ऐसी ग़ज़लें दी जा रही हैं, जिसे हम कई जगह मसलन चाय की दुकानों और बाजारों में सुना करते थे
ज़र्बुल-मसल शायरी
उर्दू शायरी में इल्तिजा विनती का अर्थ अपने महबूब से मिलने या उसकी झलक भर पा लेने की ख़्वाहिश से जुड़ा हुआ है । उर्दू शायरी का प्रेमी हर पल यही इल्तिजा विनती करता हुआ नज़र आता है कि किसी तरह उसका महबूब उसके सामने आ जाए और उनका मिलन हो जाए । लेकिन प्रेमिका तो बुत-ए-काफ़िर इंकार करने वाला बुत है वो भला अपने प्रेमी कि फ़रियाद क्यों सुने । उर्दू शायरी का एक बड़ा हिस्सा प्रेमी के इसी इल्तिजा को नए नए अंदाज़ में पेश करता है ।
मसलनمثلاً
for example, for instance, namely
जैसे, मानो, उदाहरणार्थं ।
इक़बाल और मसलक-ए-तसव्वुफ़
अबुल्लैस सिद्दीक़ी
इक़बालियात तन्क़ीद
प्यार का मिलन
दीबा ख़ानम
रोमांटिक
000
मुख़्तार ज़फ़र
मस्लक
अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी का मसला
अन्य
गांधी जी और ज़बान का मसला
इशरत अली सिद्दीक़ी
भाषा
मसला-ए-इर्तिक़ा
इस्लाम धर्म में शारीरिक पवित्रता और नमाज़ के मसले
मौलाना अशरफ़ अली थानवी
दिन्दुस्तानी ज़बान का मसला
आलोचना
पिया मिलन की अास
फ़िल्मी-नग़्मे
मिलन की रात
मिलन
आई मिलन की बेला
तेरे जाने से यहाँ कुछ नहीं बदला मसलनतेरा बख़्शा हुआ हर ज़ख़्म हरा है मुझ में
ये नुक्ता मुझे भी न सूझा था लेकिन मैं ने हिम्मत न हारी। मैंने कहा, ‘‘मैं अपनी कई क़ीमती अशिया बेच सकता हूँ।’’ मिर्ज़ा बोले, ‘‘कौन कौन सी मसलन?’’...
उसके बाद सोचा कि हिंदुस्तान की हालत का एक दर्दनाक नक़्शा खींचूँगा। इफ़्लास, ग़ुर्बत, बुग़्ज़ वग़ैरा की तरफ़ इशारा करूँगा और फिर पूछूँगा कि इसकी वजह आख़िर क्या है? इन तमाम वुजूह को दोहराऊँगा जो लोग अक्सर बयान करते हैं। मसलन ग़ैर मुल्की हुकूमत, आब-व-हवा, मगरिबी तहज़ीब,लेकिन उन सबको बारी-बारी...
आपसे बात कर रहा है और अपने एक बाज़ू के पट्ठे अकड़ा रहा है, और ख़ुद ही दाद दे रहा है। निहायत ही अहम गुफ़्तुगू हो रही है या’नी स्वराज का मसला छिड़ा है और वो अपने खादी के कुर्ते के बटन खोल कर अपने सीने की चौड़ाई का अंदाज़ा...
हक़ मग़फ़िरत करे अजब आज़ाद मर्द था पैदाइश नाम और तख़ल्लुस का मसला यूं हल हो गया, लेकिन मिर्ज़ा के सन् पैदाइश और उम्र के बारे में नए और पुराने तमाम तज़्किरा नवीसों ने बुरी तरह ठोकरें खाईं हैं। सबने ग़ालिब का सन् पैदाइश 1212 हि. लिखा है और उम्र...
कहने लगे, "साब! आजकल वफ़ादार मालिक कहाँ मिलता है?" इस सितम ईजाद की बदौलत बर्र-ए-सग़ीर के हर खित्ते बल्कि हर तहसील के खाने की खूबियां इस हीचमदां पुंबा दहां के दस्तरख़्वान पर सिमट कर आ गईं। मसलन दोपहर के खाने पर देखा कि शोरबे में मुसल्लम कैरी हिचकोले ले रही...
लेकिन परेशानी तो ये है कि उसके बारे में क्या लिखा जा सकता है। कालू भंगी के माँ बाप भंगी थे, और जहाँ तक मेरा ख़्याल है उसके सारे आबा-ओ-अजदाद भंगी थे और सैंकड़ों बरस से यहीं रहते चले आए थे। इसी तरह, इसी हालत में, फिर कालू भंगी ने...
तक़रीर का लुब्ब-ए-लुबाब ये होता है कि राक़िम-उल-हरूफ़ जान-बूझ कर अपनी तंदुरुस्ती के पीछे हाथ धो कर पड़ा है। मैं उन्हें यक़ीन दिलाता हूँ कि अगर ख़ुदकुशी मेरा मंशा होता तो यूं एड़ियां रगड़ रगड़ कर नहीं जीता, बल्कि आँख बंद कर के उनकी तजवीज़ करदा दवाएं खा लेता। आईए,...
बहुत कुछ सिखाया है मुझेमसलन ज़मीन और आसमानी बिजली
चारपाई हिंदोस्तान की आब-व-हवा तमद्दुन-व-मुआ'शरत ज़रूरत और ईजाद का सबसे भरपूर नमूना है। हिंदोस्तान और हिंदोस्तानियों के मानिंद ढीली शिकस्ता-हाली बे-सर-व-सामान लेकिन हिंदोस्तानियों की तरह ग़ालिब और हुकमरान के लिए हर क़िस्म का सामान-ए-राहत फ़राहम करने के लिए आमादा। कोच और सोफ़े के दिल दादा और ड्राइंगरूम के असीर इस...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books