आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रब्त-ए-शनासाई"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "रब्त-ए-शनासाई"
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "रब्त-ए-शनासाई"
ग़ज़ल
रब्त बढ़ने पर खुला करता है कुछ अच्छा बुरा
इस से क्या होता है गर रस्मी शनासाई हुई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
काश बे-रब्त ख़यालों को भी दे पाऊँ ज़बाँ
रिश्ता-ए-लफ़्ज़ कहीं टूट गया है मुझ से
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
ये कैसी अज्नबिय्यत दी हमें मसरूफ़ वक़्तों ने
कि बचपन की शनासाई पे भी पहरे बिठाए थे