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कहानी
नाम उसका सलीम था मगर उसके यार-दोस्त उसे शहज़ादा सलीम कहते थे। ग़ालिबन इसलिए कि उसके ख़द-ओ-ख़ा...
सआदत हसन मंटो
कहानी
“क्यों नहीं देखते! ज़िला कचहरी के जितने मुंशी और क्लर्क हैं उन्हें कौन अच्छी नज़र से देखता ...
सआदत हसन मंटो
तंज़-ओ-मज़ाह
इसमें शक नहीं कि हमारे हाँ बाइज़्ज़त तरीक़े से मरना एक हादिसा नहीं, हुनर है जिसके लिए उम्र...
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
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नज़्म
रिश्वत
इस से बद-तर लत नहीं है कोई ये लत छोड़िए
रोज़ अख़बारों में छपता है कि रिश्वत छोड़िए
जोश मलीहाबादी
कहानी
चवन्नी लाल का बाप लाला गिरधारी लाल ऐन उस वक़्त रिटायर हुआ जब चवन्नी लाल थर्ड डवीज़न में एंट...
सआदत हसन मंटो
कहानी
मुंशी जी ने मौक़ा ग़नीमत जान कर कहा, “अच्छा लाला जी चलते हैं, आदाब अर्ज़ है।” और ये कह कर आ...
सज्जाद ज़हीर
कहानी
बीड़ी के लिए उसने आठ आने चुराते हुए अपने टख़ने की हड्डी तुड़वा ली थी मगर यहां जेल में उसको त...
सआदत हसन मंटो
कहानी
मैं एक ही क़मीज़ में बटन लगा दूँ और चाय बना दूँ... तो बहुत जानो... मुझसे भला इतने काहे को ...
इस्मत चुग़ताई
तंज़-ओ-मज़ाह
तमाशाइयों में से एक साहब कहते हुए निकल गए, “रिश्वत में अफ़ीम मिली थी खाने को, गोली खाकर गोल...