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ग़ज़ल
दो दिन में हम तो रीझे ऐ वाए हाल उन का
गुज़रे हैं जिन के दिल को याँ माह-ओ-साल बाँधे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
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कहानी
सआदत हसन मंटो
नज़्म
ऐ इश्क़ कहीं ले चल
आपस में छल और धोके संसार की रीतें हैं
इस पाप की नगरी में उजड़ी हुई परतें हैं
अख़्तर शीरानी
शायरी के अनुवाद
और राँझे के सब भाई बाँसुरी बजाना भूल गए
वारिस शाह मैं तुम से कहती हूँ अपनी क़ब्र से उठो