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परिणाम "वहशत-ए-दिल"
क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल केकिस से मिलना है ख़ाक में मिल के
वहशत-ए-दिल ने काँच के टुकड़ेमेरी फ़िरदौस में बिखेरे हैं
कर रहा है इलाज-ए-वहशत-ए-दिलचारागर की दवा करे कोई
वहशत-ए-दिल मिरी कश्कोल-ए-गदाई माँगेजिस्म की क़ैद से तदबीर-ए-रिहाई माँगे
वहशत पर ये शायरी आप के लिए आशिक़ की शख़्सियत के एक दिल-चस्प पहलू का हैरान-कुन बयान साबित होगी। आप देखेंगे कि आशिक़ जुनून और दीवानगी की आख़िरी हद पर पहुँच कर किया करता है। और किस तरह वो वहशत करने के लिए सहराओं में निकल पड़ता है।
वहशत-ए-दिलوحشت دل
frenzy of heart
ग़म-ए-दिल वहशत-ए-दिल
मोहम्मद हसन
जीवनीपरक
वहशत-ए-दिल को शबाहत नहीं मिलने वालीबिना हिजरत के ये दौलत नहीं मिलने वाली
वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदासैकड़ों कोस नहीं सूरत-ए-इंसाँ पैदा
वहशत-ए-दिल कोई शहरों में समा सकती हैकाश ले जाए जुनूँ सू-ए-बयाबाँ मुझ को
बातों से सिवा होती है कुछ वहशत-ए-दिल औरअहबाब परेशाँ हैं मिरे तर्ज़-ए-अमल से
सारी दुनिया से अलग वहशत-ए-दिल है अपनीये कि लगती है न घर की न बयाबाँ वाली
वहशत-ए-दिल माँगती है दश्त का मंज़र कोईकर फ़सील-ए-शहर में आवारगी अब दर कोई
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
न अब वो शिद्दत-ए-आवारगी न वहशत-ए-दिलहमारे नाम की कुछ और शोहरतें भी गईं
चाहे तू शौक़ से मुझे वहशत-ए-दिल शिकार करअपनों से कट चुका हूँ मैं अपनी अना उभार कर
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