aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सड़क"
नूरानी प्रेस, नई सड़क, कानपुर
पर्काशक
प्रेमियर बुक कं, नई सड़क, दिल्ली
भारत बुक एजेंसी, नई सड़क, दिल्ली
सूर्य प्रकाशन, नई सड़क, दिल्ली
माथुर इंजीनियरिंग वर्क्स, नई सड़क दिल्ली
सदक़ फाउंडेशन, लखनउ
सलाहुद्दीन अहमद स.क
अनुवादक
सबक उर्दू, भदोही
वो गाँव का इक ज़ईफ़ दहक़ाँ सड़क के बनने पे क्यूँ ख़फ़ा थाजब उन के बच्चे जो शहर जाकर कभी न लौटे तो लोग समझे
हर सड़क पर हर गली में हर नगर हर गाँव मेंहाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
आठों नौजवान ने कोशिश की। जान हथेलियों पर रख कर वो अमृतसर गए। कई औरतों, कई मर्दों और कई बच्चों को निकाल निकाल कर उन्होंने महफ़ूज़ मुक़ामों पर पहुंचाया। दस रोज़ गुज़र गए मगर उन्हें सकीना कहीं न मिली। एक रोज़ वो उसी ख़िदमत के लिए लारी पर अमृतसर जा...
सुल्ताना इनकार कैसे करती जबकि ख़ुदाबख़्श को अपने लिए बहुत मुबारक ख़याल करती थी। उसने ख़ुशी ख़ुशी दिल्ली जाना क़बूल करलिया। बल्कि उसने ये भी सोचा कि इतने बड़े शहर में जहां लॉट साहब रहते हैं उसका धंदा और भी अच्छा चलेगा। अपनी सहेलियों से वो दिल्ली की तारीफ़ सुन...
मैं वो मंज़िल था जहाँ टूटी सड़क जाती हैमैं वो घर था जिसे आबाद नहीं करता कोई
इश्क़ और प्रेम पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से मोहब्बत में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें मोहब्बत, इश्क़ और प्रेम के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और मोहब्बत करने वालों के बीच साझा कीजिए.
मोहब्बत पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से मोहब्बत में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें मोहब्बत के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और मोहब्बत करने वालों के बीच साझा कीजिए.
सड़कسڑک
road, street
सड़क वापस जाती है
कृष्ण चंदर
अरबी ज़बान के दस सबक़
अब्दुस्सलाम किदवई नदवी
भाषा
सड़क के किनारे
सआदत हसन मंटो
पाठ्य पुस्तक
सबक़ आमोज़ कहानियाँ
मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
बाल-साहित्य
धड़कनों के सबक़
अज़हर बख़्श अज़हर
ग़ज़ल
सबक़-ए-उर्दू का ख़ुसूसी शुमारा
दनिश इलाहाबादी
सबक़-ए-उर्दू
सड़क पार करते हु्ए
शानी
हमारी रेलें और सड़कें
डॉ. जाफ़र हसन
अन्य
Shomara Number - 043
Shumara Number: 027
Shumara Number-039
ए. संदीप
Mar 2008द संडे इंडियन
Shumara Number-019
Sep, Oct 2017सबक़-ए-उर्दू
Shumara Number-004
Oct 2004सबक़-ए-उर्दू
शुमारा नम्बर-033
Shumara Number: 016
लड़के ने हाथ का इशारा किया, “उस बाज़ार में!” तांगे ने उधर का रुख़ किया, बाज़ार में बहुत भीड़ थी, ट्रैफ़िक भी मामूल से ज़्यादा। ताँगा रुक-रुक कर चल रहा था। सड़क में चूँकि गढ़े थे, इसलिए ज़ोर के धचके लग रहे थे। बार-बार उसका सर मेरे कंधों से टकराता...
डिप्टी कमिशनर साहब का बंगला सिविल लाईन्ज़ में था। हर बड़ा अफ़सर और हर बड़ा टोडी शहर के इस अलग थलग हिस्से में रहता था... आपने अमृतसर देखा है तो आपको मालूम होगा कि शहर और सिविल लाईन्ज़ को मिलाने वाला एक पुल है जिस पर से गुज़र कर आदमी...
रब्बो को घर का और कोई काम न था बस वो सारे वक़्त उनके छप्पर खट पर चढ़ी कभी पैर, कभी सर और कभी जिस्म के दूसरे हिस्से को दबाया करती थी। कभी तो मेरा दिल हौल उठता था जब देखो रब्बो कुछ न कुछ दबा रही है, या मालिश...
दरियाए किशनगंगा के किनारे इस सड़क के लिए जो मुज़फ़्फ़राबाद से करन जाती है। कुछ अर्से से लड़ाई हो रही थी... अजीब-ओ-गरीब लड़ाई थी। रात को बा'ज़ औक़ात आसपास की पहाड़ियां फ़ायरों के बजाय गंदी-गंदी गालियों से गूंज उठती थीं। एक मर्तबा सूबेदार रब नवाज़ अपनी प्लाटून के जवानों के...
उसने सुब्ह के सर्द धुंदलके में कई तंग और खुले बाज़ारों का चक्कर लगाया। मगर उसे हर चीज़ पुरानी नज़र आई, आसमान की तरह पुरानी। उसकी निगाहें आज ख़ासतौर पर नया रंग देखना चाहती थीं। मगर सिवाए उस कलग़ी के जो रंग बिरंग के परों से बनी थी और उसके...
इसके बाद फिर हम से राय तलब न की गयी और हमारे वालिद, हेड-मास्टर साहब, तहसीलदार साहब इन तीनों ने मिल कर ये फैसला किया कि हमें लाहौर भेज दिया जाये। जब हमने यह खबर सुनी तो शुरू शुरू में हमें सख़्त मायूसी हुई, लेकिन इधर-उधर के लोगों से लाहौर...
गाँव से लोग चले और हामिद भी बच्चों के साथ था। सब के सब दौड़ कर निकल जाते। फिर किसी दरख़्त के नीचे खड़े हो कर साथ वालों का इंतिज़ार करते। ये लोग क्यूँ इतने आहिस्ता-आहिस्ता चल रहे हैं। शहर का सिरा शुरू हो गया। सड़क के दोनों तरफ़ अमीरों...
कमरा बहुत छोटा था जिसमें बेशुमार चीज़ें बेतर्तीबी के साथ बिखरी हुई थीं। तीन चार सूखे सड़े चप्पल पलंग के नीचे पड़े थे जिनके ऊपर मुँह रख कर एक ख़ारिश ज़दा कुत्ता सो रहा था और नींद में किसी ग़ैरमरई चीज़ को मुँह चिड़ा रहा था। उस कुत्ते के बाल...
उन औरतों के लिए जो इलाक़ा मुंतख़ब किया गया वो शह्र से छः कोस दूर था। पाँच कोस तक पक्की सड़क जाती थी और इससे आगे कोस भर का कच्चा रास्ता था। किसी ज़माने में वहाँ कोई बस्ती होगी मगर अब तो खंडरों के सिवा कुछ न रहा था। जिनमें...
इलम-उल-हैवानात के प्रोफ़ेसरों से पूछा, सलोत्रियों से दिरयाफ़्त किया, ख़ुद सर खपाते रहे लेकिन कभी समझ में न आया कि आख़िर कुत्तों का फ़ायदा क्या है? गाय को लीजिए, दूध देती है, बकरी को लीजिए, दूध देती है और मेंगनियाँ भी। ये कुत्ते क्या करते हैं? कहने लगे कि, “कुत्ता...
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