aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "साया-फ़गन"
हुई है साया-फ़गन सब्र की क़बा मुझ परचलाए तीर कहो आ के हुर मिला मुझ पर
तिरा करम है जो साया-फ़गन तो क्या ग़म हैहज़ार बार मिरे सर से आसमाँ गुज़रे
वो अब्र साया-फ़गन था जो रहमतों की तरहकिसे ख़बर थी नवाज़ेगा बिजलियों की तरह
ज़ुल्फ़-ए-दौराँ है कहाँ साया-फ़गन मेरे बा'दमुंतज़िर देर से हैं दार-ओ-रसन मेरे बा'द
यादश-ब-ख़ैर साया-फ़गन घर ही और थालौटा मुसाफ़िरत से तो मंज़र ही और था
साया-फ़गनسایہ فگن
casting shadow
क़ाफ़िला उम्र का पैहम सफ़र-आमादा सहीशजर-ए-साया-फ़गन देख के थक जाता है
सुन ज़रा ग़ौर से सुन ऐ शजर-ए-साया-फ़गनजब तिरे साए में पहुँचूँ तो समर भी देना
बे-यक़ीनी के सहरा पे साया-फ़गन हो
हमेशा साया-फ़गन रहेंगीवो सारे लम्हे जो तितलियाँ थे
मेरे सर पे साया-फ़गन हुआवही ए'तिबार का दीं बना
कौन ये साया-फ़गन है आख़िरमेरे सूरज पे गहन तारी है
लिपटी हुई ख़ाक की है ख़ुश्बूऔर साया-फ़गन सहाब-ए-रहमत
जिन पे साया-फ़गन ये अब्र रहाआज उस कारवाँ की बातें करो
मेरा जुनून मेरी फ़िरासत के सामनेसाया-फ़गन बना है तमाज़त के सामने
और तू मुझ में लफ़्ज़ों का ज़िंदा शजरअपनी पुर-पेच बाँहों से साया-फ़गन
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