aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सिगरेट"
स्परेट-सोसायटी फॉर प्रोमोटिंग रेशनलिटी, अहमदाबाद
पर्काशक
सिम्राट छाबरा
कलाकार
मेरे होंटों पे किसी लम्स की ख़्वाहिश है शदीदऐसा कुछ कर मुझे सिगरेट को जलाना न पड़े
महाराजा जब कुछ फ़िल्म दिखा चुका तो उसने कैमरे में रोशनी की और बड़ी बेतकल्लुफ़ी से अशोक की रान पर धप्पा मार कर कहा,“और सुनाओ दोस्त।” अशोक ने सिगरेट सुलगाया, “मज़ा आगया फ़िल्म देख कर।”...
इसके इलावा उसे उनका रंग भी बिल्कुल पसंद न था। जब कभी वो गोरे के सुर्ख़ व सपेद चेहरे को देखता तो उसे मतली आ जाती, न मालूम क्यों। वो कहा करता था कि “उन के लाल झुर्रियों भरे चेहरे देख कर मुझे वो लाश याद आ जाती है जिसके...
उससे तफ्सील-ए-इ’ल्म का जो एक वलवला सा हमारे दिल में उठ रहा था, वह कुछ बैठ सा गया। हमने सोचा यह मामूँ लोग अपनी सर-परस्ती के ज़अ’म में वालदैन से भी ज़्यादा एहतियात बरतेंगें, जिसका नतीजा यह होगा कि हमारे दिमाग़ी और रूहानी क़वा को फलने फूलने का मौक़ा न...
एक दिन एक देहाती बुढ़िया जो पास के किसी गाँव में रहती थी, इस बस्ती की ख़बर सुन कर आ गई। उसके साथ एक ख़ुर्द साल लड़का था। दोनों ने मस्जिद के क़रीब एक दरख़्त के नीचे घटिया सिगरेट, बीड़ी, चने और गुड़ की बनी हुई मिठाईयों का ख़्वाँचा लगा...
सिगरेट शायरी
शायरी, या ये कहा जाए कि अच्छा तख़्लीक़ी अदब हम को हमारे आम तजर्बात और तसव्वुरात से अलग एक नई दुनिया में ले जाता है वह हमें रोज़ मर्रा की ज़िंदगी से अलग होते हैं। क्या आप दोस्त और दोस्ती के बारे में उन बातों से वाक़िफ़ है जिन को ये शायरी मौज़ू बनाती है? दोस्त, उस की फ़ित्रत उस के जज़्बात और इरादों का ये शेरी बयानिया आप के लिए हैरानी का बाइस होगा। इसे पढ़िए और अपने आस पास फैले हुए दोस्तों को नए सिरे से देखना शुरू कीजिए।
सिगरेटسگریٹ
cigarette
अख़्तर ओरेनवी नंबर
क़मर आज़म हाश्मी
साग़र-ए-नौ, पटना
सिर्र-ए-अादम
रज़ी अहमद चिशती
सिर्र-ए-दिलबरान
सय्यद अहमद
नॉवेल / उपन्यास
Shumara Number-008
कहकशां यासमीन
Jan, Mar 2021साग़रे-्अदब
सियर-ए-अंसार
माैलाना सईद अंसारी
आत्मकथा
Shumara Number-004
Jan, Mar 2020साग़रे-्अदब
Shumara Number-014
Jul, Aug, Sep 2022साग़रे-्अदब
000
Jul 1965साग़र-ए-नौ, पटना
Shumara Number-015
Oct, Nov, Dec 2022साग़रे-्अदब
Shumara Number-012
Jan, Mar 2022साग़रे-्अदब
Shumara Number-009
सय्यद आल-ए-ज़फ़र
साग़रे-्अदब
Shumara Number-011
Oct, Dec 2021साग़रे-्अदब
Shumara Number-005
Apr, Jun 2020साग़रे-्अदब
Shumara Number-006
Jul, Sep 2020साग़रे-्अदब
Shumara Number-010
Jul, Sep 2021साग़रे-्अदब
वायरलैस से फ़ारिग़ हो कर सूबेदार हिम्मत ख़ान ने कुछ देर नक़्शे का बग़ौर मुताला किया फिर फ़ैसलाकुन अंदाज़ में उठा और सिगरेट की डिबिया का ढकना खोल कर बशीर को दिया, “बशीरे, लिख इस पर गुरमुखी में... इन कीड़े मकोड़ों में...” बशीर ने सिगरट की डिबिया का गत्ता लिया...
कई लकीरों में ढल गया हूँमैं अपने सिगरेट के बे-इरादा धुएँ की सूरत
मियां साहब ने सिगरेट सुलगाया, “ब्लैक मार्कीट का क़िस्सा है। मुझे मालूम हुआ है कि आज मेरे गोदाम पर छापा मारा जाएगा सो मैंने सोचा कि अमीन पहलवान बेहतरीन आदमी है जो उसे निमटा सकता है।” अमीन ने बड़े मग़्मूम और ज़ख़्मी अंदाज़ में कहा, “आप फ़रमाईए, मैं आपकी क्या...
रूसी शायर ने कुछ दुरुस्त ही कहा है... मेरे पास ही एक गज़ के फ़ासले पर बिजली का खंबा गड़ा था और उसके ऊपर बिजली का एक शोख़ चश्म क़ुमक़ुमा नीचे झुका हुआ था। उसकी आँखें रोशन थीं मगर वो मेरे सीने के तलातुम से बेख़बर था। उसे क्या मालूम...
साहिल के सब क़ुमक़ुमे रोशन थे जिनका अक्स किनारे के लर्ज़ां पानी पर कपकपाती हुई मोटी लकीरों की सूरत में जगह जगह रेंग रहा था। मेरे पास पथरीली दीवार के नीचे कई कश्तियों के लिपटे हुए बादबान और बांस हौले-हौले हरकत कर रहे थे। समुंदर की लहरें और तमाशाइयों की...
दूर-अँदेश की आँख कैसी हैसिगरेट के कश से बड़ी है
हम्माम के आईने में शब डूब रही थीसिगरेट से नए दिन का धुआँ फैल रहा था
वादे के मुताबिक़ वो ठीक डेढ़ बजे मेरे यहां आया। वो मुझसे चार साल छोटा था, बेहद ख़ूबसूरत। उस में निस्वानियत की झलक थी। पढ़ाई से मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए मैं आवारागर्द था लेकिन वो बाक़ायदगी के साथ तालीम हासिल कर रहा था। मैं उसको अपने कमरे में...
नौजवान का अपना ओवर कोट था तो ख़ासा पुराना मगर उसका कपड़ा ख़ूब बढ़िया था फिर वो सिला हुआ भी किसी माहिर दर्ज़ी का था। उसको देखने से मालूम होता था कि उसकी बहुत देख भाल की जाती है। कालर ख़ूब जमा हुआ था। बाहों की क्रीज़ बड़ी नुमायाँ, सिलवट...
शाम पड़े तारदेव की ख़स्ता-हाल इ’मारत के सामने टैक्सी आकर रुकी और ख़ुरशीद आलम बाहर उतरे जेब से नोट बुक निकाल कर उन्होंने एड्रेस पर नज़र डाली और इ’मारत के लबे सड़क बरामदे की धंसी हुई सीढ़ी पर क़दम रखा। सामने एक दरवाज़े की चौखट पर चूने से जो चौक...
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