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ग़ज़ल
मिज़्गान-ए-तर हूँ या रग-ए-ताक-ए-बुरीदा हूँ
जो कुछ कि हूँ सो हूँ ग़रज़ आफ़त-रसीदा हूँ
ख़्वाजा मीर दर्द
ग़ज़ल
ये दर ये ताक़ ये चौखट ये घर मलाल का है
सफ़र में जितना है ज़ाद-ए-सफ़र मलाल का है
कृष्ण कुमार तूर
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ग़ज़ल
क़िस्सा-ए-माज़ी सिपुर्द-ए-ताक़-ए-निस्याँ कर दिया
ज़िंदगी मुश्किल थी इस मुश्किल को आसाँ कर दिया
सय्यद ज़हीर अहमद ज़ैदी
ग़ज़ल
वफ़ाएँ होंगी ज़ेब-ए-ताक़-ए-निस्याँ हम न कहते थे
भुला बैठोगे तुम सब ‘अहद-ओ-पैमाँ हम न कहते थे
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
ग़ज़ल
दिल चढ़ा मुश्किल से ताक़-ए-अबरू-ए-ख़मदार पर
सौ जगह रस्ते में जब ज़ुल्फ़-ए-रसा पकड़ी गई