आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सेहन-ए-मस्जिद"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "सेहन-ए-मस्जिद"
नज़्म
सफ़ीर-ए-लैला-2
तुम्हें दिखाऊँ
ये सेहन-ए-मस्जिद था याँ पे आयत-फ़रोश बैठे दुआएँ ख़िल्क़त को बेचते थे
अली अकबर नातिक़
नज़्म
अदल-ए-फ़ारूक़ी का एक नमूना
चादरें माल-ए-ग़नीमत में जो अब के आईं
सेहन-ए-मस्जिद में वो तक़्सीम हुईं सब के हुज़ूर
शिबली नोमानी
ग़ज़ल
ये मय-कदा तो नहीं ये तो सेहन-ए-मस्जिद है
ये आ गया मैं कहाँ से कहाँ मआ'ज़-अल्लाह
नज़ीर मुज़फ़्फ़रपुरी
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "सेहन-ए-मस्जिद"
नज़्म
औरत
दिल-पज़ीरी-ए-अज़ाँ दिलदारी-ए-नाक़ूस-ए-दैर
सेहन-ए-मस्जिद का तक़द्दुस परतव-ए-फ़ानूस-ए-दैर
शाद आरफ़ी
ग़ज़ल
उफ़ ये तलाश-ए-हुस्न-ओ-हक़ीक़त किस जा ठहरें जाएँ कहाँ
सेहन-ए-चमन में फूल खिले हैं सहरा में दीवाने हैं
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
ऐ मिरे सोच-नगर की रानी
सेहन-ए-चमन पर भौउँरों के बादल एक ही पल को छाएँगे
फिर न वो जा कर लौट सकेंगे फिर न वो जा कर आएँगे
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
हर तरफ़ सेहन-ए-चमन में कहती फिरती है नसीम
गुल से हँसती खिलखिलाती मोतिया पकड़ी गई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
यूँ ही खिलती रहेंगी सेहन-ए-चमन में कलियाँ
यूँही चलती रहेगी बाद-ए-सबा मेरे ब'अद
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
नज़्म
गुलहा-ए-अक़ीदत
तितलियाँ अपने परों पर पा के क़ाबू हर तरफ़
सेहन-ए-गुलशन की रविश पर रक़्स फ़रमाने लगीं