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ग़ज़ल
तुझे हादसात-ए-पैहम से भी क्या मिलेगा नादाँ
तिरा दिल अगर हो ज़िंदा तो नफ़स भी ताज़ियाना
जिगर मुरादाबादी
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कहानी
And wilikins doth fainteth with a cry in his eye एक दिन जब विलकिन हवा खाने को गया...
क़ुर्रतुलऐन हैदर
नज़्म
होली
घटाएँ रंग-ब-रंग फ़ौजों की झुकीं सरशार
पखालें मश्कें छुटीं रंग की पड़ी पौछार
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
होली
सब चूमने वाले गिर्द दुखड़े नज़ारा करते हँसी-ख़ुशी
महबूब नशे की ख़ूबी में फिर आशिक़ ऊपर घड़ी घड़ी
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
चार दिन की ज़ीस्त में बस चार पल ख़ुशियों के हैं
किस लिए फिर रात दिन मातम तू मुझ से बात कर
ऋतु सिंह राजपूत रीत
ग़ज़ल
ज़रा ठोकर लगे तो ख़ुद-कुशी की बात करता है
बशर इस दौर का कुछ उलझनों से कितना डरता है