aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".tamu"
मऊ ताम्रुल मुसन्नीफीन, पेशावर
पर्काशक
के. मुद्दना मंज़र तमा पुरी
लेखक
बाबू गोरुंद तामुल
अनुवादक
पण्डित औतार कृषण तक्कू औतार
न ये कि हुस्न-ए-ताम होन देखने में आम सी
कम नहीं तम-ए-इबादत भी तो हिर्स-ए-ज़र सेफ़क़्र तो वो है कि जो दीन न दुनिया रक्खे
सराबों ने सराबों पर बहुत बादल हैं बरसाएशराबों ने मआबद के तमूज़ ओ बअल नहलाए
मेरा तालू तर कर दोसच-मुच प्यासा लगता हूँ
अगर मादूम को मौजूद कहने में तअम्मुल हैतो जो कुछ भी यहाँ है आज क्या होने से पहले था
Ahkam-e-Taam-e-Ahl-e-Kitab
सर सय्यद अहमद ख़ान
इस्लामियात
Khawan Nemat-e-Kalan
अमीर हसन
दस्तरख़्वान
Ahkam Taam Ahl-e-Kitab
सय्यद अहमद ख़ाँ
Manzar-e-Irfan
संकलन
Aaina-e-Irfan
Risala-e-Tohfat-ul-Harmain Fi Bayan-e-Taam-ul-Darain
मोहम्मद अब्दुर्रहमान
Dafa-ut-Taammul An-it-Tawassuli Bi-Sayyad-ir-Rusul
मौलवी मुश्ताक़ अहमद हनफ़ी
Husn-e-Irfan
Manzar Ba Manzar
Irfan-e-Sukhan
हिदायत-ए-ताम्मा
अन्य
Tasaneef-e-Ahmadiya Part 1st, Voll-002
क्रिश्चियन
Guldasta
मज़ामीन / लेख
Tajalliyat
काव्य संग्रह
Ahkam-e-Tam Ahl-e-Kitab
सय्यद अहमद
'इरफ़ान' मानने में तअम्मुल तुझे ही थामैं ने तो ये हमेशा कहा है, ये इश्क़ है
क्या तअम्मुल है मिरे क़त्ल में ऐ बाज़ू-ए-यारएक ही वार में सर तन से जुदा रक्खा है
तअम्मुल तो था उन को आने में क़ासिदमगर ये बता तर्ज़-ए-इंकार क्या थी
क्या ज़ोहद को मानूँ कि न हो गरचे रियाईपादाश-ए-अमल की तमा-ए-ख़ाम बहुत है
फूल बिखराता हुआ मैं तौ चला जाऊँगाआप काँटे मिरी राहों में बिछाते रहिए
ज़बान तालू में पैवस्त कर के रखना 'तलब'कोई मज़ाक़ है क्या ता-हयात चुप रहना
कोई नहीं था किसी का सामेअ'सब के सब थे दीद के तामे
सूत की दुकानें हैंकुछ तआम-ख़ाने हैं''
जो देख सुर्ख़ बदली होती है उन पे लट्टूकितनों की गाड़ी रथ हैं कितनों के घोड़े टट्टू
ठहरे न वो क्रीज़ पे जो थे बड़े बड़ेमुझ जैसे टीम-टाम तो विकटों पे फट पड़े
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