aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".vizc"
नाहीद विर्क
शायर
मोहम्मद ज़कर्या विर्क
born.1946
लेखक
मोहसिन विर्क
संपादक
कवि को पोल विज़ा कमेटी, चेन्नई
पर्काशक
कुलवंत सिंह विर्क
1921 - 1987
तू दर्द भी दुआ भी तू ज़ख़्म भी दवा भीशिकवे भी हैं तुझी से और प्यार भी तुझी से
لیکن انگریزوں کی تحریروں اور حکمت عملی میں ’’ہندوستانی‘‘ کو ’’ہندی/ہندوی‘‘ پر بحیثیت اسم زبان ترجیح کی سب سے بڑی وجہ یہ تھی کہ انہوں نے اس زبان کو صرف مسلمانوں سے مختص قرار دیا۔ وہ ’’ہندی‘‘ زبان کو ’’ہندوؤں کی زبان‘‘، اور ایک الگ طرح کی زبان قرار دینے...
शाम की शाम से सरगोशी सुनी थी इक बारबस तभी से तुझे इम्कान में रक्खा हुआ है
अज़ाब-ए-हिज्र से अंजान थोड़ी होता हैये दिल अब इतना भी नादान थोड़ी होता है
अब कहाँ उस की ज़रूरत है हमेंअब अकेले-पन की आदत है हमें
111 Muslim Sciencedan Qadeem-o-Jadeed
जीवनी
Tilism-e-Insani Jism
Musalmanon Ka Newton
Zikr-e-Abdus Salam
Shakeel-ur-Rahman : Urdu Ka Naya Vizn
मोहम्मद सिद्दीक़ नक़वी
मज़ामीन / लेख
Ghalib Centenary Week Souvenir
Geeli Chup
कोई ऐसा कमाल हो जाएहिज्र सारा विसाल हो जाए
कितनी वीरानी है मेरे अंदरकिस क़दर तेरी कमी है मुझ में
बिन तिरे वक़्त ही गुज़रता हैबिन तिरे ज़िंदगी नहीं होती
वो बिछड़ कर निढाल था ही नहींयानी उस को मलाल था ही नहीं
कोई वज़ीफ़ा मुझे भी बता मिरे दरवेशतुझे हुई है फ़क़ीरी अता मिरे दरवेश
कोई हिज्र है न विसाल हैसभी ख़्वाहिशों का ये जाल है
गर दिल से भुलाई मिरी चाहत नहीं जातीक्यूँ फिर तिरी इंकार की आदत नहीं जाती
और जिस्म को रूह से मिलने के लिएकिसी वीज़े की ज़रूरत न हो
जो तू मेरा मुक़द्दर बनते बनते रह गया हैसमझ ले, कुछ कहीं पर बनते बनते रह गया है
भरी रात में जागना पड़ गया हैतिरे बारे में सोचना पड़ गया है
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