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ग़ज़ल
कल मैं ने कहा उस से क्या दिल में ये आया जो
कंघी है न चोटी है मिस्सी है न काजल है
नज़ीर अकबराबादी
तंज़-ओ-मज़ाह
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
ग़ज़ल
मैं किंगरा-ए-अर्श से पर मार के गुज़रा
अल्लाह-रे रसाई मिरी पर्वाज़ तो देखो