aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aapkaa"
अल्का मिश्रा
born.1970
शायर
फौज़िया अख़्तर अज़्का
born.1986
आक़ा बेदार बख़्त खाँ
लेखक
नय्यर आपा
शाह मक़सूद मोहम्मद सादिक़ उनक़ा
इशरत आपा
संपादक
आक़ा हुसैन क़ुली ख़ाँ अज़ीमाबादी
आक़ा मुर्तज़ा
आक़ा-ए-राज़ी
सय्यद आक़ा हसन नामी
सय्यद मोहम्मद अाक़ा हैदर अली हसन
अपना इदारा, रावलपिंडी
पर्काशक
अपना किताब घर, कामटी
अपना प्रकाशन, लखनऊ
अंक़ा पब्लिशिंग
किया था अह्द जब लम्हों में हम नेतो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम
सो अपना अपना रास्ताहँसी-ख़ुशी बदल दिया
आपका जब से आना हुआख़ुशनुमा आशियाना हुआ
ख़ाना-ए-दिल है ग़ैर से ख़ालीशौक़ से आओ आपका घर है
निघरे क्या हुए कि लोगों परअपना साया भी अब तो भारी है
फ़िल्म और अदब में हमेशा से एक गहरा तअल्लुक़ रहा है ,अगर बात हिन्दुस्तानी फ़िल्मों की हो तो उनमें इस्तिमाल होने वाली ज़बान, डायलॉगज़ , स्क्रीन राईटिंग और नग़मो में उर्दू का हमेशा से बोल-बाला रहा है जो अब तक जारी है। आज इस कलेक्शन में हमने राजा मेहदी ख़ान के कुछ मशहूर नग़्मों को शामिल किया है । पढ़िए और क्लासिकल गानों का लुत्फ़ लीजिए।
Apna To Mile Koi
देवमणि पांडेय
ग़ज़ल
Tasawwuf Ki Haqeeqat Aur Uska Falsafa-e-Tareekh
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
समा और अन्य शब्दावलियाँ
Apna Gareban Chaak
जावेद इक़बाल
आत्मकथा
Darwin Aur Uska Nazariya-e-Irtiqa
इफ़्तिख़ार आलम ख़ान
शोध
सर सय्यद अहमद खाँ और उन का अहद
सुरैया हुसैन
Gilchrist Aur Uska Ahd
मोहम्मद अतीक़ सिद्दीक़ी
आलोचना
Bimariyan Aur Unka Nabatati Ilaj
हकीम राहत नसीम सोहदरवी
औषधि
Urdu Ka Apna Arooz
ज्ञान चंद जैन
छंदशास्र
Qutub Mushtari Aur Uska Tanqeedi Jaiza
वहाब अशरफ़ी
मसनवी
Nazeer Akbarabadi Unka Ahd Aur Shayari
अबुल्लैस सिद्दीक़ी
शायरी तन्क़ीद
Agra, Akhbar Aur Uska Darbar
सय्यद माेहम्मद लतीफ़
भारत का इतिहास
Urdu Zaban Aur Uska Naam
कँवल डिबाइवी
भाषा
Multani Zaban Aur Uska Urdu Se Talluq
महर अब्दुल हक़
Urdu Aur Hindi Zaban Ka Irtiqa Aur Unka Lisaniyati Rishta
मंज़र आज़मी
Hamare Ismaili Mazhab Ki Haqeeqat Aur Uska Nizam
डॉ. ज़ाहिद अली
आज तक नज़रों में है वो सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़अपना जाना याद है तेरा बुलाना याद है
अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहींचीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगाकिसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
दिल तुझे दे भी गए अपना सिला ले भी गएआ के बैठे भी न थे और निकाले भी गए
न अपना रंज न औरों का दुख न तेरा मलालशब-ए-फ़िराक़ कभी हम ने यूँ गँवाई न थी
तुम्हारे बा'द भला क्या हैं वअदा-ओ-पैमाँबस अपना वक़्त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो
और मैं जिस ने तुझे अपना मसीहा समझाएक ज़ख़्म और भी पहले की तरह सह जाऊँ
अब है बस अपना सामना दर-पेशहर किसी से गुज़र गया हूँ मैं
आशिक़ सा तो सादा कोई और न होगा दुनिया मेंजी के ज़ियाँ को इश्क़ में उस के अपना वारा जाने है
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम हैजिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
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