aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "abhishek shukla"
अभिषेक शुक्ला
born.1985
शायर
अभिसार गीता शुक्ल
born.1994
मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे मेंये ज़िंदगी भी मुझे सोच कर न रह जाए
ख़ला के जैसा कोई दरमियान भी पड़ताफिर इस सफ़र में कहीं आसमान भी पड़ता
वहाँ पहले ही आवाज़ें बहुत थींसो मैं ने चुप कराया ख़ामुशी को
ये इम्तियाज़ ज़रूरी है अब इबादत मेंवही दुआ जो नज़र कर रही है लब भी करें
तमाम शहर पे इक ख़ामुशी मुसल्लत हैअब ऐसा कर कि किसी दिन मिरी ज़बाँ से निकल
तेरी आँखों के लिए इतनी सज़ा काफ़ी हैआज की रात मुझे ख़्वाब में रोता हुआ देख
किसी तरह की 'इबादत रवा नहीं रखूँगासनम रखूँगा मैं दिल में ख़ुदा नहीं रखूँगा
उस से कहना कि धुआँ देखने लाएक़ होगाआग पहने हुए जाउँगा मैं पानी की तरफ़
हमीं जहान के पीछे पड़े रहें कब तकहमारे पीछे कभी ये जहान भी पड़ता
लहर का ख़्वाब हो के देखते हैंचल तह-ए-आब हो के देखते हैं
अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी हैमैं बह रहा हूँ कि मेरा वजूद पानी है
उस से कहना कि धुआँ देखने लाइक़ होगाआग पहने हुए मैं जाऊँगा पानी की तरफ़
मैं यूँ ही नहीं अपनी हिफ़ाज़त में लगा हूँमुझ में कहीं लगता है कि रक्खा हुआ तू है
हर्फ़ लफ़्ज़ों की तरफ़ लफ़्ज़ मआ'नी की तरफ़लौट आए सभी किरदार कहानी की तरफ़
अपनी जैसी ही किसी शक्ल में ढालेंगे तुम्हेंहम बिगड़ जाएँगे इतना की बना लेंगे तुम्हें
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