aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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हसीं आँखों में आँसू भर गया तोकोई तुम को भी तन्हा कर गया तो
कोह के सीने से आब-ए-आतशीं लाता कोईइस नवा-ए-आगही को डूब कर गाता कोई
मैं ग़ज़ल का हर्फ़-ए-इम्काँ मसनवी का ख़्वाब हूँअपनी सब रूदाद लिखने के लिए बेताब हूँ
ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगीउठाओ जाम कि अब बात रू-ब-रू होगी
वो भी कहता था कि उस ग़म का मुदावा ही नहींदिल जलाने के अलावा कोई चारा ही नहीं
Ashaar
हसन नईम
ग़ज़ल
उम्मीद ओ यास ने क्या क्या न गुल खिलाए हैंहम आबशार के बदले सराब लाए हैं
क़रीनों मेंहसीं क़ुदरत के ये पहला क़रीना है
हसीन जादू निगार चेहरे मगर वो चेहराक़दम क़दम नौ-बहार चेहरे मगर वो चेहरा
दिल उदास होता है इस क़दर अकेले मेंनींद भी नहीं आती रात भर अकेले में
अगर मैं इक हसीं तक 'इश्क़ को महदूद कर लेतातो राह-ए-ला-मकाँ अपने लिए मस्दूद कर लेता
बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगेगुज़र भी जाए कोई ग़म तो वाक़िआ' न लगे
मिरी नाकाम चालों पर वो ऐसे मुस्कुराता हैकि गोया ज़ख़म देता है वो फिर मरहम लगाता है
निगाह-ए-लुत्फ़ के उम्मीदवार हम भी हैंलिए हुए ये दिल-ए-बे-क़रार हम भी हैं
मियाँ चश्म-ए-जादू पे इतना घमंडख़त-ओ-ख़ाल ओ गेसू पे इतना घमंड
आरज़ू थी कि तिरा दहर भी शोहरा होवेतेरी निस्बत से ग़ज़ल हम-सर-ए-ज़ोहरा होवे
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