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नज़्म
हसन कूज़ा-गर (4)
ज़माना जहाँ-ज़ाद अफ़्सूँ-ज़दा बुर्ज है
और ये लोग उस के असीरों में हैं
नून मीम राशिद
हिंदी ग़ज़ल
तू ढूँढता था जिसे जा के बुर्ज-ए-बाबुल में
वो शख़्स तो किसी मीरा की चश्म-ए-तर में रहा
गोपालदास नीरज
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रेख़्ता शब्दकोश
havaa.ii-burj
हवाई-बुर्जہَوائی بُرج
(آتش بازی) نمائشی آتش بازی جو غبارے کے نمونے پر برج کی شکل کی بہت باریک کاغذ کی بنائی جاتی ہے اور ایک خاص قسم کے بارود کا دھواں بھر کر شادی وغیرہ کی تقریبوں پر اڑاتے ہیں، غبارہ.
baara-burj
बारा-बुर्जبارہَ بُرْج
राशिफल (मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ व मीन)
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नज़्म
गुमाँ का मुमकिन- जो तू है मैं हूँ
मैं गुम्बदों के तमाम राज़ों को जानता हूँ
दरख़्त मीनार बुर्ज ज़ीने मिरे ही साथी
नून मीम राशिद
ग़ज़ल
लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुए
हम हर बुर्ज में घटते घटते सुब्ह तलक गुमनाम हुए
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
पिछले-पहर के सन्नाटे में
मेहराबों से भूतों के सर टकराते हैं
क़िलए के इक बुर्ज के अंदर
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
फ़बेअय्ये आलाए रब्बिकमा तुकज़्ज़िबान
सारी ज़िंदगी इसी की रोटी खाते हैं
चाहे उन का बुर्ज कोई हो
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
फिर भटकता फिर रहा है कोई बुर्ज-ए-दिल के पास
किस को ऐ चश्म-ए-सितारा-याब वापस कर दिया
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
ख़ौफ़ से बुर्ज में जल्लाद-ए-फ़लक छुपता है
तुम जो बाँधे हुए तलवार नज़र आते हो
वज़ीर अली सबा लखनवी
ग़ज़ल
रुख़ जो ज़ेर-ए-सुंबल-ए-पुर-पेच-ओ-ताब आ जाएगा
फिर के बुर्ज-ए-सुंबले में आफ़्ताब आ जाएगा