aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "chaakar"
सिद्धार्थ साज़
born.1996
शायर
के. एल. छबर
अनुवादक
मौलवी छब्बन
लेखक
मीनार बुक डिपो चार कमान, हैदराबाद
पर्काशक
इदारा-ए-चहार दह, हैदराबाद
गवर्नमेन्ट चादर घाट कॉलेज, हैदराबाद
अहमद प्रेस चार मीनार, हैदराबाद
किताब महलचार कमान, हैदराबाद
चार यार पब्लिकेशन, इंदौर
राघुआ चारी
सुख देव सिंह चाडक शुऊर
रियाज़ अली छब्बर
ग़ुलाम क़ादिर
महमूद प्रेस, चार मीनार
भाई तारा चंद छब्बर, लाहौर
अपनी ताबीर के चक्कर में मिरा जागता ख़्वाबरोज़ सूरज की तरह घर से निकल पड़ता है
रहा करते हैं क़ैद-ए-होश में ऐ वाए-नाकामीवो दश्त-ए-ख़ुद-फ़रामोशी के चक्कर याद आते हैं
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के
चबा लें क्यों न ख़ुद ही अपना ढाँचातुम्हें रातिब मुहय्या क्यों करें हम
वो सब इक बर्फ़ानी भाप की चमकीली और चक्कर खाती गोलाई थेसो मेरे ख़्वाबों की रातें जलती और दहकती रातें
चाकरچاکر
servant, attendent
सेवक, दास, नौकर।
चौकोरچوکور
Quadrate, Quadratic, Quadrangle
चोकरچوکر
chaff; husk
चक्रچکر
a potter's wheel, a catharine-wheel, a discus or sharp circular missile weapon; a quoit; an oil-mill; a circle, a ring; circumference; a circular road or course; a circular position
80 Din Men Dunia Ka Chakkar
ज़ौल वरन
कहानी
Ticketon Ka Chakkar
जेम्स हेडले चेस
नॉवेल / उपन्यास
Ek Chadar Maili Si
राजिंदर सिंह बेदी
सामाजिक
Bagh-o-Bahar
मीर अम्मन
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सय्यद इम्तियाज़ अली ताज
लेख
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अननोन ऑथर
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मीर सयय्द अली हमदनी
शायरी
Chacha Chhakkan
गद्य/नस्र
Ahsanur Risala
अंदलीब शादानी
फूलों की चादर
बेदम शाह वारसी
मसनवी
Chakkar
जितेन्द्र बिल्लू
अफ़साना
इन्हीं साँसों के चक्कर ने हमें वो दिन दिखाए थेहमारे पाँव की मिट्टी हमारे सर पे रक्खी थी
एक ही औरत को दुनिया मान करइतना घूमा हूँ कि चक्कर आ गए
टिकटिकी बाँधे वो तकते हैं मैं इस घात में हूँकहीं खाने लगे चक्कर न ये ठहरा पानी
बहुत याद आता है गुज़रा ज़मानावो शह-राह-ए-मैरिस के पुर-पेच चक्कर
जाने किस ख़्वाब-ए-परेशाँ का है चक्कर साराबिखरा बिखरा हुआ रहता है मिरा घर सारा
और चार दीवारेंमुझ से बे-तअल्लुक़ सब
भाग ऐसे रहनुमा से जो लगता है ख़िज़्र साजाने ये किस जगह तुझे चक्कर में डाल दे
है गर्दिश-ए-साग़र मिरी तक़दीर का चक्करमोहताज-ए-तवाफ़-ए-दर-ए-मय-ख़ाना नहीं हूँ
दिल किसी सम्त किसी सम्त क़दम जाता हैतेरे मौजूद के चक्कर में अदम जाता है
गर्दिश मस्त निगाहों की आख़िर वज्द-अंगेज़ हुईचक्कर में 'साग़र' भी है दौर में है पैमाना भी
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