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नज़्म
चू की लफ़्ज़ी तहक़ीक़
अश्नान करने घर से चले लाला-लाल-चंद
और आगे आगे लाला के उन की बहू गई
ज़फ़र अली ख़ाँ
ग़ज़ल
असलम गुरदासपुरी
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ग़ज़ल
चल तू जीता मान लिया ना आ तू मुझ को हारा देख
मैं क़िस्मत वाले को देखूँ तू क़िस्मत का मारा देख
इक़बाल असलम
ग़ज़ल
गूँज रहा था हर पल हर-सू अल्लाह-हू हक़ अल्लाह-हू
बाँध लिया मैं ने भी घुँगरू अल्लाह-हू हक़ अल्लाह-हू
इक़बाल असलम
नज़्म
ईद का दिन
आज का दिन कैसा बा-रौनक़ है बच्चो वाह वाह
मर्द बूढे हों कि बच्चे जा रहे हैं ईद-गाह
मुर्तजा साहिल तस्लीमी
नज़्म
ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल
ऐ ज़मिस्ताँ की हुआ तेज़ न चल
इस क़दर तेज़ न हो मौज-ए-सुबुक-ख़ेज़ की रौ
असलम अंसारी
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है