aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "chattaan"
सिद्धार्थ साज़
born.1996
शायर
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
born.1980
चरण सिंह बशर
born.1957
चमन लाल चमन
1934 - 2019
मतबूआत चट्टान, लाहौर
पर्काशक
शिव चरन दास गोयल ज़ब्त
born.1918
अदीब समी चमन
सोज़ बरेलवी
असर देहलवी
1898 - 1978
चेतन पंचाल
born.1992
मुंशी छट्टन लाल ऐश
लेखक
मतबुआत-ए-चट्टान
चमन भटनागर
born.1925
दास चरन सिंह
चमन सीतापुरी
अगरचे मैं इक चटान सा आदमी रहा हूँमगर तिरे बा'द हौसला है कि जी रहा हूँ
हम से टकरा गई ख़ुद बढ़ के अँधेरे की चटानहम सँभल कर जो बहुत चलते थे नाचार गिरे
चबा लें क्यों न ख़ुद ही अपना ढाँचातुम्हें रातिब मुहय्या क्यों करें हम
ज़िंदगी संग-दिल सही लेकिनआईना भी इसी चटान में है
चटख़ उठा हो सुलगती चटान की सूरतपुकार अब तू मिरे देर-आश्ना मुझ को
चटानچَٹان
चट्टानچَٹّان
पत्थर का बहुत बड़ा और विशाल खंड, पत्थर की बड़ी सिल, पाषाणशिला, शिलाखंड, पथरीली ज़मीन, पहाड़
चाटनچاٹَن
वह जगह जहाँ शिकारी लोग शिकार के लिए नमक रख देते हैं और जानवर उसको चाटने आते हैं
छटनچَھٹَن
what is left after cleaning or selection, residue
शीशे की चट
सिराज अनवर
रोमांटिक
Aakhri Chattan
नसीम हिजाज़ी
नॉवेल / उपन्यास
Sheeshe Ki Chattan
Ta'oos Chaman Ki Maina
नैयर मसूद
अफ़साना
Ek Chadar Maili Si
राजिंदर सिंह बेदी
सामाजिक
Gardish-e-Rang-e-Chaman
क़ुर्रतुलऐन हैदर
उपन्यास
Chachaa Chhakkan
सय्यद इम्तियाज़ अली ताज
लेख
Bagh-o-Bahar
मीर अम्मन
दास्तान
मिट्टी, रेत, चट्टान
बेकल उत्साही
काव्य संग्रह
Chattan Aur Pani
फ़ुज़ैल जाफ़री
Shumaara Number 005
मसूद शौरिश
Feb, Mar 1988चट्टान, लाहौर
Chahal Asrar
मीर सयय्द अली हमदनी
शायरी
मैं रोना चाहता हूँ
फ़रहत एहसास
Chhata Darya
फ़िक्र तौंसवी
डायरी
जोशिश-ए-ख़ूँ ने अपने फ़न का हिसाबएक चुप इक चटान में रक्खा
हमेशा सर पे रही इक चटान रिश्तों कीये बोझ वो है जिसे उम्र-भर उठाया है
बाहर से चट्टान की तरह हूँअंदर की फ़ज़ा में थरथरी है
आ कर गिरा था कोई परिंदा लहू में तरतस्वीर अपनी छोड़ गया है चटान पर
है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक हैकि जैसे आइना महफ़ूज़ इक चटान में है
फूल पानी में गिर पड़े सारेअच्छी जुम्बिश चटान में आई
तमाम तेशा-ब-दस्त हैरत में गुम हुए हैंचराग़ से काट दी हवा की चटान मैं ने
हम भी अपना मुजस्समा रख आएरात अंधी चटान के आगे
मैं अपनी ज़ात की तन्हाई में मुक़य्यद थाफिर इस चटान में इक फूल ने शिगाफ़ किया
वही चट्टान भी हूँ मैंमुकम्मल एक नाज़ुक सा
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