aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "darshan"
दर्शन सिंह
1921 - 1989
शायर
दर्शन दयाल परवाज़
born.1935
लेखक
शाश्वत सिंह दर्पण
गुरु दर्शन आनंद
दर्शन कुमारी
पर्काशक
मिस दर्शन कृष्णा
दिग दर्शन ऑफ़सेट प्रेस, इंदाैर
दर्शन कपूर फ़लक
शिव दर्शन सिंह
दरशन दयाल मेहता
संपादक
दर्शन हउसिंग सोसाइटी,नागपुर
स्वामी दरशना नन्द सरसवती महाराज
अंजुमन दोस्तदारान-ए-किताब
महेश दर्पण
पहली बारिश भेजने वालेमैं तिरे दर्शन का प्यासा था
मिरा नाम 'दर्शन'-ए-ख़स्ता-तन मिरे दिल में कोई है ज़ौ-फ़गनमैं हूँ गुम किसी की तलाश में मुझे ढूँढता कोई और है
दिल तो किसी दर्शन का भूकादिल तो किसी दर्शन का सवाली
कोई कंघी न मिली जिस से सुलझ पाती वोज़िंदगी उलझी रही ब्रम्हा के दर्शन की तरह
काम अधूरा और आज़ादीनाम बड़े और थोड़े दर्शन
नवल किशोर प्रेस द्वारा प्रकाशित दास्तानें यहाँ पढ़ें। इस पृष्ठ पर नवल किशोर प्रेस द्वारा प्रकाशित गुणवत्तापूर्ण दास्तानें हैं, जिन्हें रेख़्ता ने ईबुक पाठकों के लिए चुना है।
दास्तान शायरी
दर्शनدرشن
appearance, sight of an image of God, visiting a sacred shrine
'दर्शन'درشنؔ
Pen name
Bagh-o-Bahar
मीर अम्मन
दास्तान
Urdu Dastan
सुहैल बुख़ारी
फ़िक्शन तन्क़ीद
Intikhab-e-sabras
मुल्ला वजही
Jada-e-Noor
काव्य संग्रह
Dastan-e-Falsafa
विल डुराण्ट
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
Mata-e-Noor
ग़ज़ल
Rani Ketki Ki Kahani
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
Sab Ras
फ़िक्शन
तिलिस्म-ए होशरुबा
मुंशी अहमद हुसैन क़मर
Dastan-e-Tareekh-e-Urdu
हामिद हसन क़ादरी
नॉन-फ़िक्शन
Alf Laila (Hazaar Daastaan Mukammal)
अननोन ऑथर
इंतिख़ाब-ए तिलिस्म-ए होशरुबा
मोहम्मद हसन असकरी
Cyclopedia Of Homeopathic Dargaz
डॉ. काशी राम
होम्योपैथी
Dastan Ka Fan
अतहर प्रवेज़
मिरे ख़ुलूस पे शैख़-ए-हरम भी कह उट्ठाजो पी रहे हो तो 'दर्शन' हरम में आ के पियो
दिल्ली नई पुरानी देखीख़ैर-ओ-शर हैरानी देखी
ख़िज़ाँ का दौर है मगर वो इस अदा से आए हैंबहार 'दर्शन'-ए-हज़ीं की ज़िंदगी पे छा गई
तुझ को हो जाएँगे शैतान के दर्शन वाइ'ज़डाल कर मुँह को गरेबाँ में कभी देखा है
एक इसी कश्मीर का दर्शनकितनों के दुख दर्द का दर्पन
शौक़-ए-दीदार दिल में है 'दर्शन'आ भी जाए ख़ुदा करे कोई
दर-ओ-दीवार ही नज़रों में अपनी आइना-ख़ानाकिया करती हैं घर बैठी ही अपना आप दर्शन हम
देखिए होगा श्री-कृष्ण का दर्शन क्यूँ-करसीना-ए-तंग में दिल गोपियों का है बेकल
अपने 'दर्शन' पे इक निगाह-ए-करमकि ग़म-ए-ज़िंदगी का मारा है
वही ना जिस की मकीन लड़की ने तेरी बस्ती में इश्क़ बोयामुझे भी दर्शन कराओ उस के कि जिस हवेली का नाम दुख है
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