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मदरसा मोहम्मदी बाग़-ए-दीवान साहब, मद्रास
पर्काशक
मौत कहते हैं जिस को ऐ 'साग़र'ज़िंदगी की कोई कड़ी होगी
हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रतज़ाहिद तिरे इरफ़ान से कुछ भूल हुई है
ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियारराह में ज़िंदगी खड़ी होगी
ऐ सितारों के चाहने वालोआँसुओं के चराग़ हाज़िर हैं
है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहींमेरे नग़्मात को अंदाज़-ए-नवा याद नहीं
दीवान-ए-साग़र सिद्दीक़ी
साग़र सिद्दीक़ी
दीवान
Lauh-e-Junoon
काव्य संग्रह
Intikhab-e-Deewan-e-Momin
ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
शायरी
Sharh-e-Deewan-e-Fani
इफ़्तिख़ार बेगम सिद्दीक़ी
व्याख्या
Asrar-e-Junoon
नज़ीर हुसैन सिद्दीक़ी
Deewan-e-Sahar
मुंशी देवी प्रसाद
Deewan-e-Masood
मसऊद सिद्दीक़ी मसऊद
फ़िकर-ओ-नज़र
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
संकलन
Shokhi-e-Tahreer
इकबाल साग़र सिद्दीक़ी
लेख
Deewan-e-Habib
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
Deewan-e-Azeez
मोहम्मद अब्दुल अज़ीज़
मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
Deewan-e-Aneeq
अनीक़ सिद्दीक़ी
Tahreek-e-Safar
सलीम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
तुम गए रौनक़-ए-बहार गईतुम न जाओ बहार के दिन हैं
मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गयाग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा हैज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है
वहशत-ए-दिल ने काँच के टुकड़ेमेरी फ़िरदौस में बिखेरे हैं
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अंधेरा हैज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अंधेरा है
ज़िंदगी जब्र-ए-मुसलसल की तरह काटी हैजाने किस जुर्म की पाई है सज़ा याद नहीं
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीतदुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया
बरगश्ता-ए-यज़्दान से कुछ भूल हुई हैभटके हुए इंसान से कुछ भूल हुई है
ज़ख़्म-ए-दिल पर बहार देखा हैक्या अजब लाला-ज़ार देखा है
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