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ग़ज़ल
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
बलदेव राज
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शेर
निगाह-ओ-दिल से गुज़री दास्ताँ तक बात जा पहुँची
मिरे होंटों से निकली और कहाँ तक बात जा पहुँची
अनवर साबरी
शेर
निगाह ओ दिल में वही कर्बला का मंज़र था
मैं तिश्ना-लब थी मिरे सामने समुंदर था
सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ
ग़ज़ल
निगाह-ओ-दिल से गुज़री दास्ताँ तक बात जा पहुँची
मिरे होंटों से निकली और कहाँ तक बात जा पहुँची
अनवर साबरी
ग़ज़ल
निगाह-ए-दिल से जो गुज़रा तो फिर सितारा हुआ
वो चाँद मेरे सुख़न का जो इस्तिआ'रा हुआ
मेह्र हुसैन नक़वी
ग़ज़ल
निगाह ओ दिल में वही कर्बला का मंज़र था
मैं तिश्ना-लब थी मिरे सामने समुंदर था
सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ
ग़ज़ल
निगाह-ओ-दिल का अफ़्साना क़रीब-ए-इख़्तिताम आया
हमें अब इस से क्या आई सहर या वक़्त-ए-शाम आया
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
निगाह-ओ-दिल का अफ़्साना क़रीब-ए-इख़्तिताम आया
हमें अब इस से क्या आई सहर या वक़्त-ए-शाम आया
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
निगाह-ओ-दिल को जलाने का हौसला तो करो
उठा के पर्दे हक़ीक़त का सामना तो करो