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नज़्म
वो सुब्ह कभी तो आएगी
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़्मे गाएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगी
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
इसी अंदाज़ से झूमेगा मौसम गाएगी दुनिया
मोहब्बत फिर हसीं होगी नज़ारे फिर जवाँ होंगे
मजरूह सुल्तानपुरी
नज़्म
उमीद
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख सागर छलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़्मे गाएगी
साहिर लुधियानवी
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नज़्म
हच-हाईकर
तेरी चाहत भी मुक़द्दस तेरी क़ुर्बत भी बहिश्त
देस प्रदेश की तफ़रीक़ घटेगी कैसे
अहमद फ़राज़
नज़्म
तुम नहीं आए थे जब
रोज़ गाएगी सहर तहनियत-ए-जश्न-ए-फ़िराक़
आओ आने की करें बातें कि तुम आए हो
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
कर गए कूच कहाँ
जब भी गाएगी कोई ग़ैरत-ए-नाहीद ग़ज़ल
सब को आएगा नज़र शोला-ए-आवाज़ में तू
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
इसी मिट्टी में मिल जाएगी पूँजी उम्र भर की
गिरेगी जिस घड़ी दीवार-ए-जाँ कैसा लगेगा
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
हिण्डोला
वो गंदगी वो कसाफ़त मरज़-ज़दा पैकर
वो बच्चे छिन गए हों जिन से बचपने उन के