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नज़्म
वो सुब्ह कभी तो आएगी
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़्मे गाएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगी
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे
जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनाएँगे
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
इसी अंदाज़ से झूमेगा मौसम गाएगी दुनिया
मोहब्बत फिर हसीं होगी नज़ारे फिर जवाँ होंगे
मजरूह सुल्तानपुरी
नज़्म
तराना
अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें अब ज़िंदानों की ख़ैर नहीं
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं तिनकों से न टाले जाएँगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
उमीद
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख सागर छलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़्मे गाएगी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ख़्वाब जो बिखर गए
मगन था मैं कि प्यार के बहुत से गीत गाऊँगा
ज़बान गुंग हो गई, गले में गीत घुट गए
आमिर उस्मानी
नज़्म
हच-हाईकर
तेरी चाहत भी मुक़द्दस तेरी क़ुर्बत भी बहिश्त
देस प्रदेश की तफ़रीक़ घटेगी कैसे