आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "justajuu-e-dair-o-ka.aba"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "justajuu-e-dair-o-ka.aba"
ग़ज़ल
जुस्तजू-ए-दैर-ओ-का'बा से हुआ ज़ाहिर यही
मैं हक़ीक़त में ख़ुद अपनी ज़ात से बेगाना था
ब्रहमा नन्द जलीस
शेर
तमीज़-दैर-ओ-का'बा है न फ़िक्र-ए-दीन-दुनिया है
ये रिंद-ए-पाक-तीनत भी तिरे अल्लाह वाले हैं
जलील मानिकपूरी
शेर
दैर ओ काबा में भटकते फिर रहे हैं रात दिन
ढूँढने से भी तो बंदों को ख़ुदा मिलता नहीं
दत्तात्रिया कैफ़ी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "justajuu-e-dair-o-ka.aba"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "justajuu-e-dair-o-ka.aba"
शेर
पड़ा है दैर-ओ-काबा में ये कैसा ग़ुल ख़ुदा जाने
कि वो पर्दा-नशीं बाहर न आ जाने न जा जाने
क़लक़ मेरठी
शेर
निकल कर दैर-ओ-काबा से अगर मिलता न बुत-ख़ाना
तो ठुकराए हुए इंसाँ ख़ुदा जाने कहाँ जाते