आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khud-kaam"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "khud-kaam"
ग़ज़ल
बिन तिरे ऐ बुत-ए-ख़ुद-काम ये दिल को है ख़तर
तेरे आशिक़ का तमाम आह कहीं काम न हो
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
ख़ूगर-ए-ऐश-ओ-मसर्रत दिल-ए-ख़ुद-काम नहीं
है ये आराम की सूरत मगर आराम नहीं
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
अन्य परिणाम "khud-kaam"
ग़ज़ल
मेरा जज़्बा कि जो ख़ुद-फ़हम है ख़ुद-काम नहीं
पुख़्ता मग़्ज़ान-ए-जुनूँ की हवस-ए-ख़ाम नहीं
जमील मज़हरी
ग़ज़ल
बे-तह मिरी नज़र है कि ख़ुद कम-नज़र हूँ मैं
अज़-बस इसी ख़याल से ज़ेर-ओ-ज़बर हूँ मैं
अमजद अशरफ़ मल्ला
ग़ज़ल
है फ़िराक़-ए-बुत-ए-ख़ुद-काम में 'नासिख़' का कलाम
हूँ मैं नाकाम मुझे काम से कुछ काम नहीं
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
जल्द 'एहसाँ' से कहो वो बुत-ए-ख़ुद-काम आया
अब तो लिल्लाह कहीं बंद ज़बाँ कीजिएगा