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ग़ज़ल
वस्ल की तो कभी फ़ुर्क़त की ग़ज़ल लिखते हैं
हम तो शाइ'र हैं मोहब्बत की ग़ज़ल लिखते हैं
अशोक मिज़ाज बद्र
ग़ज़ल
हर किसी को है ख़याल-ए-आशियाँ कुछ इन दिनों
काश होती सब को फ़िक्र-ए-गुल्सिताँ कुछ इन दिनों
फ़ैज़ी निज़ाम पुरी
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ग़ज़ल
दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल क़ज़ा के ब'अद
है इब्तिदा हमारी तिरी इंतिहा के ब'अद