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नज़्म
तिलिस्मात
परे से तकती हर इक नज़र उस नगर की राहों से बे-ख़बर है
हिनाई-अंगुश्त का इशारा लजाई-आँखों की मुस्कुराहट
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
बसंत और होली की बहार
कानों में कुण्डलों की चमक है जड़ाव से
राधा लजाई जाती है चंचल सुभाव से
उफ़ुक़ लखनवी
नज़्म
नई सुब्ह
चली आती है शर्माई लजाई हूर-ए-बेदारी
भरे घर में क़दम थम थम के रखती है दुल्हन जैसे
कैफ़ी आज़मी
रेख़्ती
गुल खिला कर बाग़ से क्या कोई आई ऐ नसीम
क्यूँ लजाई आँख उस नर्गिस की क्यूँ महजूब है
मीर यार अली जान
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रेख़्ता शब्दकोश
sajai
सजैسَجَی
एक प्रकार की खार जो उस जगह से निकाली जाती है जहाँ की मिट्टी फूल जाती है; सोडे कार्बन और ऑक्सीजन का एक मिश्रण जो कपड़े धोने के काम आता है; कुछ जड़ी बूटियों को जाला कर भी बनाई जाती है
lahjaa.ii
लहजाईلَہْجائی
لہجہ (رک) کی طرف منسوب ، لہجے کا.
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ग़ज़ल
सहर को बे-खिली कलियों में ढूँढती है किरन
जो लुत्फ़-ए-जल्वा लजाई हुई दुल्हन से मिला
अली जवाद ज़ैदी
ग़ज़ल
जैसे किसी अल्हड़ गोरी का हो रंगीन ख़याल 'मुजीब'
है ऐसी शर्माई लजाई अलबेले सावन की धूप
मुजीब शेह्ज़र
नज़्म
शिकवा
आ गया ऐन लड़ाई में अगर वक़्त-ए-नमाज़
क़िबला-रू हो के ज़मीं-बोस हुई क़ौम-ए-हिजाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
ये चर्ख़-ए-जब्र के दव्वार-ए-मुमकिन की है गिरवीदा
लड़ाई के लिए मैदान और लश्कर नहीं लाज़िम