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ग़ज़ल
मुझ को कुढ़ा कुढ़ा के वो मारेंगे जान से
दिलबर हुए तो क्या मिरे प्यारे हुए तो क्या
अहमद हुसैन माइल
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ग़ज़ल
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
ढूँडेंगे हर इक चीज़ में जीने की उमंगें
दिल की किसी ख़्वाहिश को भी मारेंगे नहीं हम
फ़रहत नदीम हुमायूँ
हास्य शायरी
बच्चे तरसेंगे न मक्खन के लिए घी के लिए
आप दफ़्तर में न सर मारेंगे दफ़्तर के लिए