आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "masruuf-e-khairiyat"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "masruuf-e-khairiyat"
नज़्म
भगवान 'कृष्ण' की तस्वीर देख कर
तुझे मैं आज तक मसरूफ़-ए-दर्स-ओ-वा'ज़ पाता हूँ
तिरी हस्ती मुकम्मल आगही महसूस होती है
कँवल एम ए
ग़ज़ल
कितने मसरूफ़ हैं मसरूर नहीं फिर भी ये लोग
है ये क्या सिलसिला-ए-कार-ए-ज़ियाँ हम-नफ़सो
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ग़ज़ल
तामील-ए-हुक्म-ए-रब में हैं मसरूफ़ रात-दिन
इस वास्ते ये शम्स-ओ-क़मर बोलते नहीं
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
अन्य परिणाम "masruuf-e-khairiyat"
ग़ज़ल
मसरूफ़-ए-शुक्र-ए-ने'मत-ए-पीर-ए-मुग़ाँ रहूँ
अल्लाह मुझ को यूँ ही पिलाए जहाँ रहूँ
मुज़्तर ख़ैराबादी
नज़्म
अब और तब
मगर इन में मिरे उस्ताद-ए-देरीना बहुत कम थे
जो दो इक थे भी वो मसरूफ़-ए-सद-अफ़्कार-ए-पैहम थे