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हास्य
वो चाँदनी सा रूप वो ज़ुल्फ़ों के पेच-ओ-ख़म
नाज़ुक सी पिंडली उस में वो पायल की छम पे छम
साग़र ख़य्यामी
नज़्म
हाथों का तराना
मिट्टी को छुएँ तो सोना है, चाँदी को छुएँ तो पायल है
इन हाथों की ताज़ीम करो
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
वो पायल पाँव में तेरे वो बिंदी तेरे माथे पर
तसव्वुर बस यही अक्सर मेरी आँखों में होता है
सुजीत सहगल हासिल
नज़्म
रह-ज़नी ख़ूब नहीं ख़्वाजा-सराओं के लिए
रहज़नी ख़ूब नहीं ख़्वाजा-सराओं के लिए
शोर पायल का सर-ए-राह न रुस्वा कर दे
अली अकबर नातिक़
ग़ज़ल
न सोना है न चाँदी है न है कुछ मिलकियत अपनी
दरीदा पैरहन से मैं तिरी पायल बनाऊँगा