aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "package"
ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग
शायर
मुंशी पराग नारायण
लेखक
प्राग नरायण भारगव
संपादक
पैकेजस लिमिटेड,लाहोर
पर्काशक
पेज अरन्ट
सय्यद इफ़्तिख़ार अहमद आइडिअल पैकेजेज़, कराची
एल सी पेज एंड कंपनी, बोस्टन
पैकेजेज़ लिमिटेड, लाहौर
इन्तेशारात पैकेजेज़, लाहौर
पैकेजेज लिमिटेड, लाहौर
तो घंटा-पैकेज पे जाने कब सेफ़हीम गप्पें लड़ा रहा है
फिर एक मैसेज में लिखते होमुझे अफ़्सोस है पैकेज अचानक ख़त्म होने पर
کہا گیا ہے کہ حیاتیاتی سطح پر کبھی عورت اور مرد ایک ہی جسم میں موجود تھے (اس مرحلے کو Hermophrodotismکا نا م ملا ہے) پھر جدا ہوئے اور تب سے اب تک ایک ہوجانے کی آرزو میں سرشار ہیں۔ تصوف اور ویدانت نے اس بات کو یوں بیان کیا...
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीतदेंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
हमें चराग़ समझ कर बुझा न पाओगेहम अपने घर में कई आफ़्ताब रखते हैं
रेख़्ता न्यूज़लेटर उर्दू प्रेमियों के लिए एक सूचनात्मक और मनोरंजक मासिक पैकेज है। चुनिंदा कविता, गद्य, ब्लॉग, वीडियो और विभिन्न चुनिंदा संग्रहों के साथ क्यूरेट किये गए इस न्यूज़लेटर के पिछले सभी संस्करण यहां मौजूद हैं।
महिलाओं की आत्मकथाओं का चयन
रेख़्ता ने अपने पाठकों के अनुभव से, प्राचीन और आधुनिक कवियों की उन पुस्तकों का चयन किया है जो सबसे अधिक पढ़ी जाती हैं.
पैकेजپیکج
package
Parinda Pakadne Wali Gaadi
ग़यास अहमद गद्दी
अफ़साना
Inqilab-e-Roos
विश्व इतिहास
Asatizah Ki Tarbiyat Package
नेशनल कौंसिल ऑफ़ एजुकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग, नई दिल्ली
अनुवाद
Waqa-e-Nemat Khan Aali
इतिहास
Pakan-e-Ummat
महमूद अहमद रिफ़ाक़ती
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Miratus Salateen
परिंदा पकड़ने वाली गाड़ी
Padash-e-Amal
नॉवेल / उपन्यास
कोनटेन रेना लुडस
Padaash-e-Amal
मोहम्मद सिद्दीक़
हम जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँगे तन्हाजो तुझ से हुई हो वो ख़ता साथ लिए जा
आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभीमैं भी हम-राह ज़माने के बदल जाऊँगा
'ग़ालिब' ने इश्क़ को जो दिमाग़ी ख़लल कहाछोड़ें ये रम्ज़ आप नहीं जान पाएँगे
तो जान लेना कि हर पतंगे के साथ मैं भी बिखर चुका हूँतुम अपने हाथों से उन पतंगों की ख़ाक दरिया में डाल देना
संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगेइस लोक को भी अपना न सके उस लोक में भी पछताओगे
और तन्नूर पे मक्की के कुछ मोटे मोटे रोट पकाएपोटली में मेहमान मिरे
जो मिल न सका वो पाएँगेये दिन तो वही पहला दिन है
कितनी अच्छी लड़की हैबरसों भूल न पाएँगे
न समझ पाएँगे वो अहल-ए-फ़िराक़जो अज़िय्यत विसाल की होगी
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगेरात के मुसाफ़िर थे खो गए उजालों में
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