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ग़ज़ल
नाजी शाकिर
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
किसी ने पकड़ा दामन और किसी ने आस्तीं पकड़ी
न उट्ठा मैं ही उस कूचे से ये मैं ने ज़मीं पकड़ी
निज़ाम रामपुरी
नज़्म
एक ख़ातून और नुजूमी
ये भी मैं जानती हूँ कि दौलत मैं पाऊँगी
बस ये बता दो मैं तो नहीं पकड़ी जाऊँगी