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नज़्म
बच्चों को नया साल मुबारक
दिखाए ख़ुदा साल तुम को बहुत से
यूँही साल पर साल आता रहेगा
तिलोकचंद महरूम
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शेर
बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर
जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर
जो बात अब की बरस है वो पार-साल नहीं
लाला माधव राम जौहर
नज़्म
ये बस्ती मेरी बस्ती है
मगर अक्सर यहाँ पर साल पीछे ऐसा होता था
कि हम इस्कूल जाने को सवेरे घर से निकले तो