आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "pha.daktii"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "pha.daktii"
ग़ज़ल
क्या ग़लत समझे वो आएगा फड़कती है जो आँख
आँख में ख़ौफ़-ए-शब-ए-फ़ुर्क़त से थर्राती है नींद
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
समस्त
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "pha.daktii"
अन्य परिणाम "pha.daktii"
ग़ज़ल
समझने वाले क्या क्या कुछ समझते हैं 'शरर'-साहब
रग-ए-मअनी फड़कती है तो हम लफ़्ज़ों पे हँसते हैं
कलीम हैदर शरर
ग़ज़ल
मिरी अँखियाँ फड़कती हैं यक़ीं है दिल मनीं याराँ
कि नामे कूँ पियारे के कबूतर ले शिताब आवे
अब्दुल वहाब यकरू
ग़ज़ल
फड़कती है रग-ए-गर्दन मिरी क्यों आज फिर 'नश्तर'
चढ़ाया सान पर क़ातिल ने शायद तेग़-ए-बुर्राँ को