aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "saamaan-e-tarab"
हम हैं उर्दू ज़बाँ के ख़ुद क़ातिलऐ 'तरब' क्यों किसी पे तोहमत है
है अब भी वक़्त सँभल जाओ ऐ 'तरब' वर्नाज़माना तुम को न रख दे कहीं फ़ना करके
क्या ग़म है अगर बे-सर-ओ-सामान बहुत हैंइस शहर में किरदार के धनवान बहुत हैं
'तरब' जादा-पैमा-ए-उल्फ़त जहाँ मेंकहाँ राह के पेच-ओ-ख़म देखते हैं
'तरब' साहब कहाँ बज़्म-ए-सुख़न मेंग़ज़ल कहना तुम्हें भी आ गया क्या
सामान-ए-तरबسامان طرب
items of luxury
कितनी ही लबरेज़ हो हुस्न-ए-मआ'नी से 'तरब'उन के अंदाज़-ए-तख़ातुब को तवालत खा गई
पंखुड़ी लब हैं तो आरिज़ हैं गुल-ए-तर की तरहमस्त आँखें हैं छलकते हुए साग़र की तरह
ये इक़्तिदार के भूखों से पूछना है 'तरब'तुम्हारे दम से वतन ज़ेर-ए-बार है कि नहीं
ग़मों में भी मसर्रत की फ़रावानी नहीं जातीहमारे ज़ख़्म-ए-दिल की ख़ंदा-सामानी नहीं जाती
ग़ुर्बत ने की है इस तरह तज़ईन-ए-ज़िंदगीलगते हैं शाहकार हर इक पैरहन में हम
दोनों हैं अशआ'र-ए-'तरब' मेंलुत्फ़-ए-तग़ज़्ज़ुल कैफ़-ए-तरन्नुम
कलीम-ए-तूर ने देखा था ऐ 'तरब' जिस कोउसी हसीं का ज़माना शिकार है शायद
मआल-ए-कार हूँ भूली हुई 'तरब' अब भीभँवर में फँस के किनारों की बात करती हूँ
बहार-ए-आलम-ए-फ़ानी से दिल लगा के 'तरब'मताअ'-ए-जल्वा-ए-हुस्न-ए-निगार खो बैठी
न जाने क्यों तरब बार-ए-गराँ होता है मजनूँ कोअगर मैं बात कोई लैला-ए-महमिल से कहती हूँ
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