aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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सबा शाह
शायर
सबा आलम शाह
मीर ज़फ़र अली शाह सब्र
लेखक
शोबा-ए-नशरो-इशाअ़त शाह वलियुल्लाह, हैदराबाद
पर्काशक
प्यार कहने की बात होती हैबात ये बे-सबात होती है
'सबा' हम हश्र को मुजरिम जो निकलेशफ़ाअत को शह-ए-लौलाक निकला
'सबा' ये उन से कहो कि मुझ पे नवाज़िशें बे-हिसाब लिखनामिरे मुक़द्दर में नींद लिखना न रात लिखना न ख़्वाब लिखना
सारा शहर बिलकता हैफिर भी कैसा सकता है
सूरज सारा शहर डराता रहता हैपथरीली सड़कों पे दरिया प्यासा है
लखनवी शाइ’री की तीसरी पीढ़ी के प्रमुख प्रतिनिधि शाइ’र। ख़्वाजा ‘आतिश’ के लाइक़ शागिर्द थे। अफ़ीम का शौक़ था, ख़ुद खाते और मेहमानों को खिलाते। वाजिद अ’ली शाह ने दो सौ रुपए माहवार वज़ीफ़ा बाँध रखा था, जिससे ऐश में गुज़रती थी।
Saba-ul-Asrar Fi Madarij-ul-Akhyar
शाह मोहम्मद मासूम
Saba-e-Asrar
शाह मोहम्मद मासूम नक़्शबन्दी
नक्शबंदिया
Shahr-e-Saba
यूसुफ़ आज़मी
काव्य संग्रह
Koi Rasm Bhi Na Nibha Saka
सादुल्लाह शाह
Shahr-e-Sada
उमर क़ुरैशी
Khair-e-Kaseer
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
समा और अन्य शब्दावलियाँ
Tasawwuf Ki Haqeeqat Aur Uska Falsafa-e-Tareekh
असली जवाहिर-ए-ख़मसा कामिल
शाह मोहम्मद गौस ग्वालियारी
Amjad Ali Shah
सब्त मोहम्मद नक़वी
इस्तिलाहात-ए-सूफ़िया
ख़्वाजा शाह मोहम्मद अब्दुस समद
Al-Qaul-ul-Jameel ma Sharh-e-Shifa-ul-Aleel
सदा-ए-अंदलीब बर शाख़-ए-शब
शाइस्ता फाख़री
नॉवेल / उपन्यास
Islam Aur Mauseeqi
शाह मोहम्मद जाफ़र फुलवारवी
Syed Sabt-e-Ali Saba Shakhsiyat Aur Fan
प्रवेज अख़तर शाद
मज़ामीन / लेख
हो गया सुनसान सारा शहर हर घर सो गयामेरी आँखें जागती हैं सारा मंज़र सो गया
लहू महका तो सारा शहर पागल हो गया हैमैं किस सफ़ से उठूँ किस के लिए ख़ंजर निकालूँ
ज़फ़र भाई को सारा शहर जानेउन्हें मीठी ज़बाँ दी है ख़ुदा ने
इसी कफ़न से न ढक जाए सारा शहर कहींमिरा जनाज़ा परिंदे उठाए फिरते हैं
हैरान सारा शहर था जिस की उड़ान परपंछी वो फड़ फड़ा के गिरा साएबान पर
मैं अगर टूटा तो सारा शहर बिखरेगा 'नबील'ऐसा पत्थर हूँ फ़सील-ए-शहर की बुनियाद का
तेज़ थी इतनी कि सारा शहर सूना कर गईदेर तक बैठा रहा मैं उस हवा के सामने
देखा जो साया शब में ये समझा निगाह नेशायद वो आज आ गए वा'दा निबाहने
ले गया वो साथ अपने हुस्न सारा शाम काहिज्र की तस्वीर है अब हर नज़ारा शाम का
ज़ख़्म-ए-दिल ज़ख़्म-ए-ज़बाँ सब सह गएवक़्त के मारे हुए चुप रह गए
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