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नज़्म
लहु नज़्र दे रही है हयात
मिरे जहाँ में समन-ज़ार ढूँडने वाले
यहाँ बहार नहीं आतिशीं बगूले हैं
साहिर लुधियानवी
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ग़ज़ल
दिल है क्यों गिर्या-ए-बे-अश्क से पुर-नूर बहुत
तुम बहुत पास हो या ख़ुद से हैं हम दूर बहुत
ख़्वाजा शौक़
ग़ज़ल
अहमद जहाँगीर
ग़ज़ल
सारी दुनिया की निगाहों में तमाशा हो गया
'इश्क़ तुम से क्या हुआ है मैं तो रुस्वा हो गया