aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "thakne"
रबीन्द्र नाथ टैगोर
1861 - 1941
लेखक
देवांग ठाकुर
born.1997
शायर
संदीप ठाकुर
born.1976
गीता ठाकुर रौशनी
दामोदर ठाकुर ज़की
प्रियदर्शी ठाकुर ख़याल
born.1946
दिनेश ठाकुर
जयश्री ठाकर शफ़क़
शशांक सिंह ठाकुर साहिल
born.1990
मुंशी ठाकुर प्रसाद तालिब
पंडित ठाकुर दत्त शर्मा
ताबिश धर्म कोटी
परमार ठाकुर नगीना राम
डी. डी. ठाकुर
1929 - 2007
हनीफ़ ठाकुर
मुझ को थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते
अभी से मेरे रफ़ूगर के हाथ थकने लगेअभी तो चाक मिरे ज़ख़्म के सिले भी नहीं
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुएअवाम थकने लगे तालियाँ बजाते हुए
मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने सेशौक़ को तअल्लुक़ ही कब है पाँव थकने से
इस चयन में अख़्तरुल ईमान की कुछ नज़्में शामिल हैं। ग़ज़ल शैली को आमतौर पर उर्दू में सराहा जाता है और लगभग हर शायर ग़ज़ल लिखने की कोशिश करता है, लेकिन अख़्तरुल ईमान ने ग़ज़ल के बजाय नज़्मों को चुना और नज़्म के एक सफ़ल शायर के रूप में लोकप्रिय हो गए, उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता "एक लड़का है" जो इस चयन का हिस्सा है हम इस चयन के माध्यम से उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि पेश करते हैं ।
माशूक़ की एक सिफ़त उस का फ़रेबी होना भी है। वो हर मआमले में धोखे-बाज़ साबित होता है। वस्ल का वादा करता है लेकिन कभी वफ़ा नहीं करता है। यहाँ माशूक़ के फ़रेब की मुख़्तलिफ़ शक्लों को मौज़ू बनाने वाले कुछ शेरों का इन्तिख़ाब हम पेश कर रहे हैं इन्हें पढ़िये और माशूक़ की उन चालाकियों से लुत्फ़ उठाइये।
महबूब से विसाल की आरज़ू तो आप सबने पाल रक्खी होगी लेकिन वो आरज़ू ही क्या जो पूरी हो जाए। शायरी में भी आप देखेंगे कि बेचारा आशिक़ उम्र-भर विसाल की एक नाकाम ख़्वाहिश में ही जीता रहता है। यहाँ हमने कुछ ऐसे अशआर जमा किए हैं जो हिज्र-ओ-विसाल की इस दिल-चस्प कहानी को सिलसिला-वार बयान करते हैं। इस कहानी में कुछ ऐसे मोड़ भी हैं जो आपको हैरान कर देंगे।
थकनेتھکنے
tired
ठिकानाٹھکانہ
shelter
थकानाتھکانا
cause to tire
थूकनेتھوکنے
spit
Taq-e-Nisyan
अगाथा क्रिस्टी
नॉवेल / उपन्यास
हम कि ठहरे अजनबी
अय्यू मिर्ज़ा
जीवनी
Raushni
ग़ज़ल
Punjab Aur Angrez
ठाकुर सिंह सूद
भारत का इतिहास
Mahabharat
ठाकुर सुखराम दास चौहान
दास्तान
Sehat Ke Das Usool
औषधि
Sair-e-Europe
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
तवारीख़-ए-क़दीम आर्या वरत
ठाकुर नगीना राम परमार
इतिहास
Thake Haare
ख़दीजा मस्तूर
कहानियाँ
Risala-e-qabz
Thaka Hua Din
इलियास अहमद गद्दी
अफ़साना
Puran Bhagat
प्रीतम दास ठाकुर
पाण्डुलिपि
ताक दिनादिन ताके से
अब्दुल वाहिद सिन्धी
बाल-साहित्य
Thake Na Mere Paon
रिफ़अत सरोश
Neki Kar Thane Ja
इब्राहिम जलीस
लेख
मुझे रुकने नहीं देतीमुझे थकने नहीं देती
थकने के हम नहीं थे मगर अब के यूँ हुआदेता रहा फ़रेब सितारा सफ़र के बीच
टेढ़ी-मेढ़ी राह बनाने वाला तूकभी न थकने रोज़ गुज़रने वाला मैं
जब उस को देखते रहने से थकने लगता हूँतो अपने ख़्वाब की पलकें झपकने लगता हूँ
कि जैसे रुख़्सत करेगा कोईजो राह थकने लगे तो चुपके से लूट आएँ
बहुत लम्बी मसाफ़त है बदन कीमुसाफ़िर मुब्तदी थकने लगा है
सफ़र में तन्हा क़दम उठाना मुश्किल हैसाथ तुम्हारे कभी न थकने वाला मैं
पहले पहल तो चलते रहे बे-नियाज़ हमथकने लगे तो मंज़िलों की जुस्तुजू हुई
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