आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vaquuf-e-mad.h-o-zam"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "vaquuf-e-mad.h-o-zam"
क़िस्सा
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें
ग़ुर्बत-कदे में किस से तिरी गुफ़्तुगू करें
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
दर-ए-उमीद के दरयूज़ा-गर
फिर कफ़-आलूदा ज़बानें मदह ओ ज़म की कुमचियाँ
मेरे ज़ेहन ओ गोश के ज़ख़्मों पे बरसाने लगीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क़सीदा क्या है
इस के अज्ज़ा में तश्बीब है और गुरेज़
मदह-ओ-ज़म मुद्दआ और दुआ नग़्मा-रेज़
हाफ़िज़ कर्नाटकी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "vaquuf-e-mad.h-o-zam"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "vaquuf-e-mad.h-o-zam"
ग़ज़ल
लाज़िम हमें है क़त-ए-नज़र मदह-ओ-ज़म से अब
तहसीन-ए-इत्तिफ़ाक़ है नफ़रीन-ए-इख़्तिलाफ़
साहिर देहल्वी
ग़ज़ल
समझ अच्छे बुरे की हो तो कुछ कहना भी लाज़िम है
हो यकसाँ जिस की मदह-ओ-ज़म उसे कहिए तो क्या कहिए
हकीम आग़ा जान ऐश
नज़्म
वासोख़्त
गर फ़िक्र-ए-ज़ख्म की तो ख़ता-वार हैं कि हम
क्यूँ महव-ए-मद्ह-ए-खूबी-ए-तेग़-ए-अदा न थे