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ग़ज़ल
क्या पूछते हो लज़्ज़त-ए-ज़हराब-ए-ज़िंदगी
हम पी रहे हैं हँस के मय-ए-नाब की तरह
तुफ़ैल होशियारपुरी
ग़ज़ल
जो क़ीमत जानते हैं गर्द-ए-राह-ए-ज़िंदगानी की
वो ठुकराई हुई दुनिया को ठुकराया नहीं करते
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
वो जिस से तल्ख़ी-ए-ज़हराब-ए-ग़म गवारा है
उसी 'तबस्सुम'-ए-शीरीं-असर की बात करो
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
मैं दिल में तल्ख़ी-ए-ज़हराब-ए-ग़म भी रखता हूँ
न मिस्ल-ए-शहद हूँ शीरीं न मैं शकर की तरह
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
ज़बाँ से नफ़रत क्यूँ
ज़बाँ अज़ीम है माओं की लोरियों की तरह
ज़बाँ तसलसुल-ए-तारीख़-ए-ज़िंदगानी है
नाज़िश प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
अलविदा'अ ऐ बज़्म-ए-अंजुम हिज्र की शब अल-फ़िराक़
ता-बा-ए-दौर-ए-ज़िंदगानी इंतिज़ार-ए-यार था