aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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zabaana-zan thaa jigar-soz tishnagii kaa azaabso jauf-e-siina me.n dozaKH u.nDel lii mai.n ne
terii chaahat ke zaa.iqo.n kii tamaam KHushbuumirii rago.n me.n u.nDel dii hai
मैंने हार कर उसके मुताल्लिक़ लिखने का ख़्याल छोड़ दिया।आठ साल हुए कालू भंगी मर गया। वो जो कभी बीमार नहीं हुआ था अचानक ऐसा बीमार पड़ा कि फिर कभी बिस्तर-ए-अलालत से ना उठा, उसे हस्पताल में मरीज़ रखवा दिया था। वो अलग वार्ड में रहता था, कम्पाउन्डर दूर से उसके हल्क़ में दवा उंडेल देता। और एक चपरासी उसके लिए खाना रख आता, वो अपने बर्तन ख़ुद साफ़ करता, अपना बिस्तर ख़ुद साफ़ करता, अपना बोल-ओ-बराज़ ख़ुद साफ़ करता। और जब वो मर गया तो उसकी लाश को पुलिस वालों ने ठिकाने लगा दिया। क्योंकि उसका कोई वारिस ना था, वो हमारे हाँ बीस साल से रहता था, लेकिन हम कोई उसके रिश्ते दार थोड़ी थे, इसलिए उसकी आख़िरी तनख़्वाह भी ब-हक़-ए-सरकार ज़ब्त हो गई, क्योंकि उसका वारिस ना था। और जब वो मरा उस रोज़ भी कोई ख़ास बात ना हुई। रोज़ की तरह उस रोज़ भी हस्पताल खुला, डाक्टर साहब ने नुस्खे़ लिखे, कम्पाउन्डर ने तैयार किए, मरीज़ों ने दवा ली और घर लौट गए। फिर रोज़ की तरह हस्पताल भी बंद हुआ और घर आकर हम सबने आराम से खाना खाया, रेडीयो सुना, और लिहाफ़ ओढ़ कर सो गए। सुबह उठे तो पता चला कि पुलिस वालों ने अज़-राह-ए-करम कालू भंगी की लाश ठिकाने लगवा दी। अलबत्ता डाक्टर साहब की गाय ने और कम्पाउन्डर साहब की बकरी ने दो रोज़ तक कुछ ना खाया ना पिया, और वार्ड के बाहर खड़े-खड़े बेकार चिल्लाती रहीं, जानवरों की ज़ात है ना आख़िर।
so lahuu ke jaam u.nDel karmire jaa.n-farosh chale ga.e
सुबह बहुत आहिस्ता आहिस्ता बिस्तर पर से उठेगा। नौकर चाय की प्याली बना कर लाएगा। अगर रात की बची हुई रम सिरहाने पड़ी है तो उसे चाय में उंडेल लेगा और उस मिक्सचर को एक एक घूँट करके ऐसे पीएगा जैसे उसमें ज़ाइक़े की कोई हिस ही नहीं।बदन पर कोई फोड़ा निकला है। ख़तरनाक शक्ल इख़्तियार कर गया है, मगर मजाल है जो वो उस की तरफ़ मुतवज्जा हो। पीप निकल रही है, गल सड़ गया है, नासूर बनने का ख़तरा है, लेकिन सईद कभी किसी डाक्टर के पास नहीं जाएगा।
उंडेलانڈیل
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samundaro.n me.n u.nDel jitnii sharaab chaahena harf paanii pe aa.egaa aur na us kii taqdiis KHatm hogii
मुंशी जी के घर में इस्तिख़्वानी नस्ल की एक गाय थी, खली दाना और भूसा तो उसे कसरत से खिलाया जाता था मगर वो सब उसकी हड्डियों में पैवस्त होजाता था और उसका ढांचा रोज़ बरोज़ नुमायां हो जाता था। राम ग़ुलाम ने एक हांडी में उसका गोबर घोला और वो सारी ग़लाज़त मूंगा पर लाकर उंडेल दी। और फिर उसके छींटे तमाशाइयों पर डाल दिये, ग़रीब मूंगा लत-पत हो गई और उठकर राम ग़ुलाम क...
“मसऊद! पानी का एक घूँट पिलवाना।”मसऊद ख़ामोशी से उठा और कोठड़ी के एक कोने में पड़े हुए घड़े से गिलास में पानी उंडेल कर ले आया। बूढ़े ने गिलास लेते ही मुँह से लगा लिया और एक घूँट में सारा पानी पी गया और ख़ाली गिलास ज़मीन पर रखते हुए कहा, “हाँ, मैं क्या बयान कर रहा था?”
गो कि उनका इशारा सरीहन मेरी नाक की तरफ़ था, ताहम रफा-ए-शर की ख़ातिर मैंने कहा,“थोड़ी देर के लिए ये मान लेता हूँ कि काफ़ी में से वाक़ई भीनी-भीनी ख़ुश्बू आती है। मगर ये कहाँ की मंतिक़ है कि जो चीज़ नाक को पसंद हो वो हलक़ में उंडेल ली जाये। अगर ऐसा ही है तो काफ़ी का इतर क्यों ना कशीद किया जाये ताकि अदबी महफ़िलों में एक दूसरे के लगाया करें।”
हामिद ने कुछ देर सोच कर एक ठिकाना बताया। टैक्सी ने उधर का रुख़ किया। थोड़ी ही देर के बाद बंबई का सबसे बड़ा दलाल उनके साथ था। उसने मुख़्तलिफ़ मुक़ामात से मुख़्तलिफ़ लड़कियां निकाल निकाल कर पेश कीं मगर हामिद को कोई पसंद न आई, वो नफ़ासतपसंद था। सफ़ाई का शैदा था। ये लड़कियां सुर्ख़ी पाउडर के बावजूद उसको गंदी दिखाई दीं। इसके इलावा उनके चेहरों पर कस्बियत की मोहर...
मगर मैं बहुत देर तक इन अफ़्सानों की दुनिया में न रह सका। उस वक़्त तक दोनों अदीब विस्की की बोतल आधी के लगभग ख़त्म कर चुके थे। मन्नान के ख़्याल में क़िस्म-क़िस्म की शराब को मिलाकर पीने की धुन समाई। चुनांचे जुम्मन मियां ने बहुत सी बोतलों से एक-एक पैग उंडेला और फिर सबको विस्की में उंडेल दिया। उस वक़्त मौलाना शराब में अपने आपको खो रहे थे। शायद उन्होंने इसील...
sub.h hote u.nDel detii haimanDiyo.n, daftaro.n milo.n kii taraf
jin ke maa.n baap kaa milaa na suraaGzehn me.n ye u.nDel detii hai
अताउल्लाह ने सारी शीशी उसके हलक़ में उंडेल दी और इत्मिनान का सांस लिया, “अब तुम गहरी नींद सो जाओगे।”करीम ने अपने बाप का हाथ पकड़ा और कहा, “अब्बा... अब कुछ खाने को दो।”
होमाए: क्रेज़ी फ़ारनर्ज़... पागल... ख़ैर... होशिंग डियर... ये सूप लो। (चमचे से सूप निकाल कर डेथ मास्क के होंटों तक ले जाती है। मौत का चेहरा अपनी लर्ज़ा-ख़ेज़ मिन-जुमला मुस्कुराहट के साथ भयानक ज़ाविए से प्लेट पर झुक आता है। बाहर बारिश और तूफ़ान बढ़ता जा रहा है। बिल्लियों के रोने की आवाज़, बिजली की चमक, समंदर की गरज। दरीचे में से हवा का झोंका अंदर आता है जिसक...
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