aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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Shah Maqsood Mohammad Sadiq Unqa
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बटवारे के दो-तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदोस्तान की हुकूमतों को ख़्याल आया कि अख़लाक़ी क़ैदियों की तरह पागलों का तबादला भी होना चाहिए यानी जो मुसलमान पागल, हिंदोस्तान के पागलख़ानों में हैं उन्हें पाकिस्तान पहुंचा दिया जाये और जो हिंदू और सिख, पाकिस्तान के पागलख़ानों में हैं उन्हें हिंदोस्तान...
दिल्ली आने से पहले वो अंबाला छावनी में थी जहां कई गोरे उसके गाहक थे। उन गोरों से मिलने-जुलने के बाइस वो अंग्रेज़ी के दस पंद्रह जुमले सीख गई थी, उनको वो आम गुफ़्तगु में इस्तेमाल नहीं करती थी लेकिन जब वो दिल्ली में आई और उसका कारोबार न चला...
वो कई दिन से शदीद क़िस्म की तन्हाई से उकता गया था। जंग के बाइस बंबई की तक़रीबन तमाम क्रिस्चियन छोकरियाँ जो सस्ते दामों मिल जाया करती थीं औरतों की अंग्रेज़ी फ़ौज में भर्ती होगई थीं, उनमें से कई एक ने फोर्ट के इलाक़े में डांस स्कूल खोल लिए थे...
“तो मुझ से तो उसका तड़पना और हाथ-पाँव पटकना नहीं देखा जाता।” चमारों का कुनबा था और सारे गाँव में बदनाम। घीसू एक दिन काम करता तो तीन दिन आराम, माधव इतना कामचोर था कि घंटे भर काम करता तो घंटे भर चिलम पीता। इसलिए उसे कोई रखता ही न...
Duniya mein jitni laantein hain, bhook unki maan hai....
One of the important progressive poet, famous for his ghazals in bollywood films like 'Baazaar' and 'Gaman'.
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Meer Taqi Meer, known as Khuda-E-Sukhan, influenced generations through his Ghazals. He inspired Urdu Literary World through the ages. Critics kept writing about Meer and his genius works. Poets from different eras made him their inspiration. They used Meer's 'Zameen' to compose their Ghazals and gave him tributes. We share some of those ghazals penned in the 'Zameen ' of Meer Taqi Meer's famous Ghazals.
Hafiz Mahmood Sheerani Aur Unki Ilmi -o-Adabi Khidmat
Mazhar Mahmood Shirani
Criticism
Hafiz Mahmood Sheerani Aur Unki Ilmi-o-Adabi Khidmat
Imam Hasan Basri Aur Unki Tafseeri Khidmat
Ahmad Ismail Albaseet
Munshi Naval Kishor Aur Unki Adabi Khidmat
Asifa Zamani
Compilation
Kulliyat-e-Hazrat Ruknuddin Ishq Aur Unki Hayat-o-Shairi
Ruknuddin
Kulliyat
Maulana Mohammad Ali Aur Unki Sahafat
Abu Salman Shahjahanpuri
Ulama-e-Haq Aur Unki Mazloomiyat Ki Dastanein
Intizamullah Shahabi
Islamiyat
Hali Aur Unki Adabi Khidmat
Syeda Ismat Jahan
Women's writings
Sir Syed Aur Unke Karname
Noorul Hasan Naqvi
Imam Ahmad Raza Aur Unki Talimat
Mohammad Abdul Mubeen Nomani Qadri
Swami Dayanand a Aur Unki Taleem
Khvaja Gulamul Hasnain
Profiles
Iqbal Ki Kahani
Zaheeruddin Ahmad Jamai
Akhtar Shirani Aur Uski Shayari
Akhtar Shirani
Intikhab
Urdu Ki Ilmi Taraqqi Mein Sir Syed Aur Unke Rufaqa-e-Kar Ka Hissa
A. H. Kausar
Imam Shah Waliullah
Ataurrahman Qasmi
उसके सारे जिस्म में मुझे उसकी आँखें बहुत पसंद थीं। ये आँखें बिल्कुल ऐसी ही थीं जैसे अंधेरी रात में मोटर कार की हेडलाइट्स जिनको आदमी सब से पहले देखता है। आप ये न समझिएगा कि वो बहुत ख़ूबसूरत आँखें थीं, हरगिज़ नहीं। मैं ख़ूबसूरती और बदसूरती में तमीज़ कर...
ये 1919 ई. की बात है भाई जान, जब रूल्ट ऐक्ट के ख़िलाफ़ सारे पंजाब में एजिटेशन हो रही थी। मैं अमृतसर की बात कर रहा हूँ। सर माईकल ओडवायर ने डिफ़ेंस आफ़ इंडिया रूल्ज़ के मातहत गांधी जी का दाख़िला पंजाब में बंद कर दिया था। वो इधर आ...
कहार बहुत देर तक मिर्ज़ा नौशा को उठाए फिरते रहे, जिस बाज़ा से भी गुज़रते वो सुनसान था, चौदहवीं का चांद डूबने के लिए नीचे झुक गया था। उसकी रोशनी उदास हो गई थी।एक बहुत ही सुनसान बाज़ार से हवादार गुज़र रहा था कि दूर से सारंगी की आवाज़ आई।...
चांद ने ये सब कुछ उस की हैरान पुतलीयों से झांक के देखा फिर यकायक कहीं किसी पेड़ पर एक बुलबुल नग़मासरा हो उठी और कश्तियों में चिराग़ झिलमिलाने लगे और तंगों से परे बस्ती में गीतों की मद्धम सदा बुलंद हुई। गीत और बच्चों के क़हक़हे और मर्दों की...
मगर इम्तियाज़ी फुफ्फो भी इन पाँच पांडवों पर सौ कौरवों से भारी पड़तीं। उनका सबसे ख़तरनाक हर्बा उनकी चिनचिनाती हुई बरमे की नोक जैसी आवाज़ थी। बोलना जो शुरू' करतीं तो ऐसा लगता जैसे मशीनगन की गोलियाँ एक कान से घुसती हैं और दूसरे कान से ज़न से निकल जाती...
जब मैं जाड़ों में लिहाफ़ ओढ़ती हूँ, तो पास की दीवारों पर उसकी परछाईं हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है और एक दम से मेरा दिमाग़ बीती हुई दुनिया के पर्दों में दौड़ने भागने लगता है। न जाने क्या कुछ याद आने लगता है। माफ़ कीजिएगा, मैं आपको...
ये कश्मीर की लड़ाई भी अजीब-ओ-ग़रीब थी। सूबेदार रब नवाज़ का दिमाग़ ऐसी बंदूक़ बन गया था जिसका का घोड़ा ख़राब हो गया हो। पिछली बड़ी जंग में वो कई महाज़ों पर लड़ चुका था। मारना और मरना जानता था। छोटे बड़े अफ़सरों की नज़रों में उसकी बड़ी तौक़ीर थी,...
फ़िल्म चलता रहा। पर्दे पर ब्रहनगी मुँह खोले नाचती रही। मर्द और औरत का जिन्सी रिश्ता मादरज़ाद उर्यानी के साथ थिरकता रहा। अशोक ने सारा वक़्त बेचैनी में काटा। जब फ़िल्म बंद हुआ और पर्दे पर सिर्फ़ सफ़ेद रोशनी थी तो अशोक को ऐसा महसूस हुआ कि जो कुछ उसने...
मंगू कोचवान अपने अड्डे में बहुत अक़लमंद आदमी समझा जाता था। गो उसकी तालीमी हैसियत सिफ़र के बराबर थी और उसने कभी स्कूल का मुँह भी नहीं देखा था लेकिन इसके बावजूद उसे दुनिया भर की चीज़ों का इल्म था। अड्डे के वो तमाम कोचवान जिन को ये जानने की...
लेकिन तहसीलदार साहब और हेड-मास्टर साहब की नेक नियती यहीं तक महदूद न रही। अगर वह सिर्फ़ एक आ’म और मुहमल सा मश्विरा दे देते कि लड़के को लाहौर भेज दिया जाये तो बहुत ख़ूब था, लेकिन उन्होंने तो तफ़सीलात में दख़ल देना शुरु कर दिया और हॉस्टल की ज़िंदगी...
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